यह बीमारी आज भी दुनिया के लिए बड़ा खतरा बना हुआ है। मेडिकल साइंस हर दिन नए चमत्कार कर रहा है। डॉस्टरलिमेब प्रयोगशाला द्वारा निर्मित अणुओं वाली एक दवा है, जो मानव शरीर में सब्सीट्यूट एंटीबॉडी के रूप में कार्य करती है। परीक्षण के दौरान, यह पता चला है कि रोगियों ने 6 महीने तक हर तीन सप्ताह में दवा ली। सभी मरीज इस भयानक बीमारी के समान चरणों में थे। यह उनके मलाशय में था, लेकिन शरीर के अन्य अंगों में नहीं फैला था।
रोगियों को अपने कैंसर को मिटाने के लिए पिछले इलाजों में कीमोथेरेपी, रेडिएशन और आक्रामक सर्जरी का सामना करना पड़ता था, जिसके परिणामस्वरूप आंत, मूत्र और यहां तक कि यौन रोग जैसी स्थायी समस्याएं भी हो जाती हैं।
ड्रग ट्रायल में हर मरीज को मिला कैंसर से छुटकारा:
इसी बीच एक ऐसी दवा का ट्रायल किया गया है जिससे हर मरीज को कैंसर से छुटकारा मिला है। मलाशय के कैंसर यानी रेक्टल कैंसर के इलाज के लिए एक दवा की शुरुआती ट्रायल में शामिल किए गए 18 मरीजों को बीमारी से छुटकारा मिला है। शारीरिक परीक्षणों जैसे एंडोस्कोपी, पॉजिट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी या पीईटी स्कैन या एमआरआई स्कैन में भी कैंसर का नामोनिशान नहीं मिला।
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एक बहुत ही छोटे क्लीनिकल ट्रायल में 18 रोगियों ने लगभग छह महीने तक डॉस्टरलिमेब नामक दवा ली और अंत में, उनमें से प्रत्येक ने अपने ट्यूमर को गायब होते देखा।
अविश्वसनीय प्रशिक्षण:
इस परीक्षण का जो नतीजा आया, उसने चिकित्सा की दुनिया में तहलका मचा दिया है। मीडिया से बात करते हुए, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में कोलोरेक्टल कैंसर विशेषज्ञ के तौर पर काम करने वाले डॉ. एलन पी. वेनुक ने कहा कि सभी मरीजों में कैंसर का पूरी तरह से खत्म होना ‘अविश्वसनीय’ है।
उन्होंने इस शोध को दुनिया का पहला शोध बताया, जहां सभी रोगी ठीक हो गए। उन्होंने यह भी कहा कि यह विशेष रूप से प्रभावशाली था क्योंकि सभी रोगियों को परीक्षण दवा के दौरान महत्वपूर्ण जटिलताओं का सामना नहीं करना पड़ा। खास बात यह है कि इस दवा के कोई साइड इफेक्ट नहीं दिखायी दिए हैं।
डॉस्टरलिमेब दवा में है एंटीबॉडी:
डॉस्टरलिमेब एक मोनोक्लोनल दवा है, जो मानव शरीर में एंटीबॉडी के रूप में काम करती है। मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कैंसर कोशिकाओं की सतह पर पीडी-1 नामक विशेष प्रोटीन के साथ मिलकर काम करती है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं की पहचान करके उन्हें नष्ट करने में प्रभावी है।
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मरीजों की आँखों में थे ख़ुशी के आंसू:
मेमोरियल स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर और रिसर्च पेपर के सह-लेखक एवं पेशे से ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. एंड्रिया सेर्सेक ने बताया, जब रोगियों को पता चला कि वे कैंसर से मुक्त हो चुके हैं, उस वक्त सभी के चेहरे पर एक अजीब सी खुशी और आंखों में खुशी के आंसू थे।
परीक्षण के दौरान रोगियों ने छह महीने के लिए हर तीन सप्ताह में Dostarlimab लिया था। वे सभी अपने कैंसर के समान चरणों में थे। मेडिसीन क्रिटिक्स और रिसर्चर्स ने बताया कि सभी का इलाज बेहतर तरीके से हुआ है लेकिन अब यह देखना होगा कि बड़े पैमाने पर क्या यह मेडिसीन खरा उतरेगा।
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