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51 शक्तिपीठों में से एक माता चिंतपूर्णी का शक्तिपीठ, जहाँ भक्तों की चिंता का होता है हरण।

चिंतपूर्णी धाम हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में स्थित है, यह स्थान हिंदुओं के प्रमुख धार्मिक स्थलो में से एक है। हिमाचल प्रदेश देवी देवताओं की भूमि है। प्रदेश के कोने-कोने में बहुत से प्रसिद्ध तीर्थ स्थल हैं, लेकिन ऊना जिला में स्थित प्रसिद्ध धार्मिक स्थल चिन्तपूर्णी का अपना ही महत्व है। चिंतपूर्णी अर्थात चिन्ता को दूर करने वाली देवी। कहा जाता है कि यहां पर माता सती के पवित्र पांव गिरे थे।

चिंतपूर्णी मंदिर शक्ति पीठ मंदिरों में से एक है। पूरे भारतवर्ष में कुल 51 शक्तिपीठ है। इन सभी की उत्पत्ती कथा एक ही है। यह सभी मंदिर शिव और शक्ति से जुड़े हुऐ है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इन सभी स्थलो पर देवी के अंग गिर थे। शिव के ससुर राजा दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया।

सती माता की 51पीठ के दर्शन करें

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यह बात सती जानते हुए भी, बिना बुलाए यज्ञ में पहुंच गयीं। जहां शिव का काफी अपमान किया गया। इसे सती सहन न कर सकी और वह हवन कुण्ड में कुद गयी। जब भगवान शंकर को यह बात पता चली तो वह आये और सती के शरीर को हवन कुण्ड से निकाल कर तांडव करने लगे। जिस कारण सारे ब्रह्माण्ड में हाहाकार मच गया। पूरे ब्रह्माण्ड को इस संकट से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने सती के शरीर के अपने सुदर्शन चक्र से 51 भागो में बांट दिया। जो अंग जहां पर गिरा वह शक्ति पीठ बन गया।

चिंतपूर्णी कैसे पहुँच सकते हैं

चिन्तपूर्णी जाने के लिए होशियारपुर, चंडीगढ़, दिल्ली, धर्मशाला, शिमला और बहुत से अन्य स्थानों से सीधे बसें यहां पहुंचती हैं। यहां पर वर्ष में तीन बार मेले लगते हैं। पहला चैत्र मास के नवरात्रों में, दूसरा श्रावण मास के नवरात्रों में, तीसरा अश्विन मास के नवरात्रों में। नवरात्रों में यहां श्रधालुयों की काफी भीड़ लगी रहती है। चिन्तपूर्णी में बहुत सी धर्मशालाएं हैं, जो बस अड्डे के पास स्थित है और कुछ मन्दिर के निकट स्थित हैं।

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मंदिर खुलने का समय:

गर्मी के समय में मंदिर के खुलने का समय सुबह 4 बजे से रात 11 बजे तक है और सर्दियों में सुबह 5 बजे से रात्रि 10 बजे तक का है। दोपहर 12 बजे से 12.30 तक भोग लगाया जाता है और 7.30 से 8.30 तक सांय आरती होती है। दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु माता के लिए भोग के रूप में सूजी का हलवा, लड्डू बर्फी, खीर, बतासा, नारियल आदि लाते हैं। कुछ श्रद्धालु अपनी मन्नत पूरी हो जाने पर ध्वज और लाल चूनरी माता को भेट स्वरूप प्रदान करते हैं। चढाई के रास्ते में काफी सारी दूकाने है जहां से ही श्रद्धालु माता को चढाने का समान खरीदते हैं।

चिंतपूर्णी मंदिर

 

इस स्थान पर प्रकृति का सुंदर नजारा देखने को मिल जाता है। यात्रा मार्ग में काफी सारे मनमोहक दृश्य यात्रियो का मन मोह लेते हैं और उनपर एक अमिट छाप छोड़ देते हैं। यहां पर आकर माता के भक्तों को आध्यात्मिक आंनद की प्राप्ति होती है।

चिंतपूर्णी देवी मंदिर के चारो और भगवान शंकर के मंदिर है। चिंतपूर्णी में नवरात्रि धूमधाम से मनाये जाते हैं। नवरात्रि में यहां पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। नवरात्रि की प्रत्येक रात्रि को यहां पर जागरण का आयोजन किया जाता है।

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