अगर आपके साथ लाखों रुपये का नेट बैंकिंग फ्रॉड हो जाये तो…
इसमे आपके बैंक की जिम्मेदारी होगी या नहीं? हाल ही एक सुप्रीम कोर्ट ने एक बैंक को स्कूल को 25 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है। इस स्कूल के साथ बैंक की गलती के चलते 30 लाख रुपये का नेट बैंकिंग फ्रॉड हुआ था।
बैंक ने स्कूल के आवेदन के बिना उसके अकाउंट को नेटबैंकिंग से लिंक किया था। बाद में यही नेट बैंकिंग फ्रॉड का कारण बना। स्कूल ने फ्रॉड की शिकायत राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग और राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में की, मगर दोनों जगह उसे राहत नहीं मिली। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचा, जहाँ न्यायालय ने आदेश में खाताधारकों के लिए दो बातों को सामने रखा।
पहली की अगर बैंक की गलती से फ्रॉड हुआ है तो उसकी जिम्मेदारी बनेगी और दूसरी फ्रॉड की स्थिति में खाताधारक को जल्द से जल्द उसकी शिकायत दर्ज करवानी जरूरी है। शिकायत दर्ज करवाने में देरी आपको वापस मिलने वाला पैसा कम करवा सकती है।
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क्या है पूरा मामला
एक निजी स्कूल के एक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में तीन खाते थे। एक खाते को स्कूल के प्रिंसिपल द्वारा ऑपरेट करने के लिए अधिकृत किया गया था। स्कूल ने कभी अपने तीनों में से किसी खाते के लिए नेट बैंकिंग सुविधा के लिए बैंक से संपर्क नहीं किया था। हालांकि प्रिंसिपल ने 2 सितंबर 2014 को पाया कि स्कूल के तीनों खातों को उनके व्यक्तिगत बचत खाते से टैग कर दिया गया है। स्कूल प्रिंसिपल को तत्काल आधिकारिक दौरे पर जाना था, इसलिए उन्होंने अपनी वापसी के बाद बैंक को मामले की रिपोर्ट करने का फैसला किया।
घोटाले का कैसे पता चला
7 सितंबर 2014 को स्कूल का एक स्टाफ जब पासबुक अपडेट करवाने गया तो तकनीकी कारणों से यह पासबुक अपडेट नहीं हो सकी। इसके बाद जब 9 सितंबर को स्टाफ फिर से पासबुक अपडेट करवाने गया तो पता चला कि खाते से 25 लाख रुपये निकाले जा चुके हैं। मामले की जानकारी उसी दिन शाखा प्रबंधक को दी गयी। मगर प्रबंधक ने स्कूल के संबंधित स्कूल स्टाफ के बैंक आने को कहा। मगर जब अकाउंट ब्लॉक किया जाता खाते से 5 लाख रुपये और निकाल लिये गये।
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सुप्रीम केार्ट ने क्या कहा
राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने बैंक की गलती मानी। मगर पूरी रकम के बजाय बैंक को स्कूल को 1.10 लाख रुपये देने को कहा। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने भी राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग सहमति जतायी। मगर सुप्रीम केार्ट ने पुलिस चार्जशीट को देखा, जिसमें फ्रॉड के मामले में 2 व्यक्तियों के नाम दर्ज थे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य और राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग का फैसला न्यायसंगत नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने बैंक को 25 लाख रुपये की भरपाई का आदेश दिया।
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