अमेरिका के स्टोर्स पर चावल के लिए मची लूट, बोरियां भर-भर घर ले जा रहे भारतीय।
घरेलू बाजार में गैर बासमती चावल की बढ़ती कीमतों को काबू करने के लिए भारत सरकार ने गैर-बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया है। इस बैन का असर अमेरिका तक देखा जा रहा है। व्यापारी वर्ग भी इस फैसले से नाराज है। बता दें कि अमेरिका में चावल के मामले में भारतीयों की बड़ी संख्या होने के कारण महत्वपूर्ण है।
#India has banned the export of rice to foreign countries.
— Siraj Noorani (@sirajnoorani) July 22, 2023
NRI rising for rice in concern
#RiceExportsBan #RiceExports pic.twitter.com/jRFqh6uiAK
चावल के लिए अमेरिका में मची खलबली, इसका कारण यह है कि वहां भारतीयों की संख्या काफी ज्यादा है। अधिकांश भारतीय ऐसे हैं जो अपनी खाने की थाली को बिना चावल के अधूरा मानते हैं। चावल ना खाने की तो कल्पना तक नहीं कर सकते। खासकर दक्षिण भारतीयों के लिए चावल उनके आहार का महत्वपूर्ण हिस्सा है। जैसे ही चावल के निर्यात पर प्रतिबंध की खबर सामने आई, अमेरिका में रहने वाले भारतीय किराना दुकानों पर टूट पड़े। लोग आगामी दिनों की सोच में पैकेटों में चावल खरीदकर घर ले रहे हैं।
स्टोर्स ने भी इस मौके का खूब फायदा उठाया और इसे अवसर मानकर चावल के दामों में बढ़ोतरी की। रिपोर्टों के अनुसार, भारत के बैन से अमेरिका में चावल की सप्लाई और कीमतों पर असर पड़ सकता है। इसके साथ ही, अमेरिका में चावल की चोरी की भयंकर घटनाएं दर्ज हुई हैं, जिसने लोगों को और भी चावल की खरीदारी की ओर प्रोत्साहित किया है।
#RiceExportBan US going crazy. This is at Costco.
— Anjan Dukh Bhanjan (@YehLoKalloBaat) July 22, 2023
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अमेरिका में दक्षिण भारतीयों की संख्या अच्छी-खासी है और चावल उनके खानपान का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इनका मानना है कि इस बैन के परिणामस्वरूप आने वाले दिनों में भारतीय चावल की किल्लत हो सकती है। चावल के संकट को देखते हुए देशी लोग अपने घर की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए चावल की खरीदारी में जुट रहे हैं, जिससे किराना दुकानों में लंबी कतारें देखी जा रही हैं।
गेहूं और दाल के मामले में भी सरकार फैसला ले सकती है। 2012 से भारत दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक रहा है और इस कारण भारत के चावल की निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के फैसले से दुनियाभर में चावल की कीमतों में वृद्धि हो सकती है। बताया जाता है कि सरकार जल्द ही गेहूं और दाल की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए और भी महत्वपूर्ण कदम उठा सकती है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सरकार दालों और गेहूं के कुछ प्रकारों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा सकती है ताकि मांग और आपूर्ति के बीच का अंतर कम हो सके।