प्रेगनेंसी के चौथे महीने में बच्चे का विकास, शारीरिक बदलाव, टेस्ट और सावधानियां:
प्रेगनेंसी के चौथे महीने में:
प्रेगनेंसी की पहली तिमाही खत्म होते ही गर्भवती स्त्री को कुछ परेशानियों से राहत मिलनी शुरू हो जाती है। जी-मिचलाना, मूड स्विंग, सिरदर्द और मार्निंग सिकनेस की समस्या कम होती है। खाने को लेकर अरूचि भी धीरे-धीरे कम हो जाती है व उल्टी आना जैसी समस्याएं पहले के मुकाबले कुछ हद तक कम हो जाती हैं।
प्रेगनेंसी में आपको हर महीने अपने डाइट चार्ट को बहुत अच्छे से फॉलो करना चाहिए। गर्भावस्था का चौथा महीना यानि दूसरी तिमाही को सबसे आरामदायक माना जाता है। प्रेगनेंसी की इस अवधि में बच्चा सबसे तेजी से विकास करता है और इस दौरान आपके शरीर में पोषक तत्वों की मांग भी बढ़ जाती है ताकि बच्चे को भरपूर पोषण मिल सके।
चौथे महीने से आपको अपने आहार में प्रोटीन, आयरन, फाइबर, कैल्शियम, जिंक और विटामिन सी की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। इससे बच्चे के शरीर, मांसपेशियों और अन्य अंगों का विकास अच्छे से होता है।
प्रेगनेंसी के चौथे महीने में शरीर में होने वाले बदलाव:
गर्भावस्था के चौथे महीने में आपकी प्रेगनेंसी आपके बेबी बंप से झलकने लगेगी। आपको बेबी बंप नजर आना शुरू हो जाएगा। एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर बढ़ने के कारण आपकी त्वचा पर झाइयां या तिल हैं, तो यह और गहरे रंग के हो जाएंगे। इन झाइयों को रोकने के लिए हर्बल सनस्क्रीन का इस्तेमाल कर सकती हैं।
एस्ट्रोजन हार्मोन के कारण गर्भावस्था के चौथे महीने में नाक पर सूजन आ जाती है, जिस कारण नाक बंद भी हो सकती है और नाक से खून भी आ सकता है। ऐसा कुछ ही महिलाओं के साथ होता है।
बच्चे का विकास और आकार
जैसे-जैसे गर्भावस्था का समय बढ़ता जाएगा, बच्चे की हलचल आप महसूस करने लगेंगी। हो सकता है कि गर्भावस्था के चौथे महीने में आपको पहली बार अपने बच्चे की हलचल का अहसास हो।
गर्भ में शिशु की लंबाई करीब छह इंच और उसका आकार एक बड़े संतरे के करीब हो जाता है। वहीं, शिशु का वजन 113 ग्राम हो सकता है। इस महीने में सिर, भौं और पलकों के बाल आने शुरू हो जाते हैं।
गर्भावस्था के चौथे महीने के दौरान सावधानियां:
गर्भावस्था के चौथे महीने से आपको और सावधानियां बरतने की जरूरत होगी, खासतौर से घर के काम करने के दौरान।
आराम है जरूरी : गर्भ में शिशु का विकास तेजी से हो रहा है, इसलिए आप काम के बाद,जितना हो सके आराम करें।
पेट के बल न सोएं : ऐसा करने पर गर्भ में पल रहे शिशु पर दबाव पड़ सकता है। इसके अलावा, भारी सामान उठाने से बचें।
बाईं करवट लेकर सोएं : सोते समय बाईं करवट लेकर सोएं इससे रक्त प्रवाह ठीक रहता है और गर्भ में शिशु का विकास अच्छे से हो पाता है। आप अपने टांगों के बीच तकिया लगा कर आरामपूर्वक लेट सकती हैं।
गर्भावस्था के कपड़े : आप अपने लिए ढीले-ढाले सूती कपड़े पहनने के लिए मंगवा लें और पहनने शुरू कर दें।
अपने वजन पर नजर बनाएं रखें: आपका कितना वजन बढ़ रहा है, इस बात का ध्यान रखें। घर का बना हुआ हेल्दी भोजन खाएं।
पैकेज्ड और ऑयली फूड को करें न: आप खाने में सभी तरह की चीजें खाएं लेकिन पैकेज्ड और ऑयली फूड बिल्कुल न खाएं। साथ ही बहुत तीखा खाना भी न खाएं। जितना हो सके, घर पर बना खाना खाने की कोशिश करें।
खूब पानी पिएं : इस दौरान आप खूब पानी पिएं और खुद को हाइड्रेट रखें। कोशिश करें दिन में आठ से 10 गिलास पानी जरूर पिएं। इसके अलावा, फाइबर युक्त भोजन खाएं। साथ ही आपने डॉक्टर की सलाह पर जरूरी सप्लीमेंट्स भी लेते रहें।
सैर करना : गर्भावस्था में सैर करना लाभकारी साबित होता है। आप सुबह-शाम कुछ देर की सैर कर सकती हैं, जिससे आप न सिर्फ शारीरिक रूप से स्वस्थ रहेगी, बल्कि मानसिक रूप से भी आपको अच्छा महसूस होगा। आप शुरुआत में 10 मिनट सैर करें, फिर इस समय को बढ़ा दें।
योग : आप हलके-फुल्के योग जैसे अनुलोम-विलोम, कपालभाती, सांसों के व्यायाम कर सकती हैं। गर्भ संस्कार के अन्तर्गत विभिन्न योग व ध्यान मुद्राएं आपके लिए सहायक हो सकती हैं।
आपकी गर्भावस्था बिल्कुल ठीक चलती रहे, उसके लिए समय-समय पर डॉक्टर से जांच कराते रहना जरूरी है, ताकि किसी तरह की कोई समस्या आए, तो उसका समय रहते इलाज किया जा सके।
गर्भवती का वजन और रक्तचाप की जांच। गर्भाशय का आकार मापना। शुगर और प्रोटीन के लिए यूरिन जांच।भ्रूण के दिल की धड़कनों की जांच।अल्ट्रासाउंड से जांचा जाता है कि भ्रूण सही तरह विकसित हो रहा है या नहीं। इसके अलावा, अल्ट्रासाउंड में यह भी देख सकते हैं कि गर्भ में एक बच्चा है या जुड़वां। वहीं, प्लेसेंटा की सही स्थिति अल्ट्रासाउंड में देखी जा सकती है।