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जानिए कार्तिक अमावस्या को ही क्यो मनाई जाती है दिवाली....... 2

जानिए कार्तिक अमावस्या को ही क्यो मनाई जाती है दिवाली…….

इस बार दीपावली का पर्व कब, क्यूँ और कैसे मनाएं :

हम दीपावली का पर्व मनाते हैं। हम यह तो जानते ही हैं भारत संस्कृतियों से भरा देश है और यहाँ हर महीने 2-4 त्यौहार तो हम जरूर मनाते ही है। भारतीय लोगों के अनुसार भारत में कुल 33 करोड़ देवी-देवता हैं और इसी कारण भारत में हमेशा किसी ना किसी त्यौहार का माहोल तो बना ही रहता है। उन्हीं में से एक महान, धूम-धाम से, हर राज्य में मनाया जाने वाला त्यौहार है दिवाली या दीपावली।

२०१७ diwali

रोशनी का पर्व दिवाली कार्तिक अमावस्या के दिन :

दिवाली हिन्दू धर्म का मुख्य पर्व है। रोशनी का पर्व दिवाली कार्तिक अमावस्या के दिन मनाया जाता है। दिवाली को दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि दीपों से सजी इस रात में लक्ष्मीजी भ्रमण के लिए निकलती हैं और अपने भक्तों को खुशियां बांटती हैं। दिवाली मनाने के पीछे मुख्य कथा विष्णुजी के रूप भगवान श्री राम से जुड़ी है।

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इस साल दीपावली या दिवाली 19 अक्टूबर को मनाई जाएगी।  वर्ष 2017 में नरक चतुर्दशी/ छोटी दिवाली अक्टूबर 18 मनाई जाएगी। शुरू से हम सुनते आये हैं की जब भगवान राम रावण का वध करके वापस अयोध्या आये थे तो उस दिन कार्तिक की अमावस्या थी इसलिए अयोध्या के लोगो ने दीप जला के श्री राम का स्वागत किया था।

जब भगवान राम अयोध्या पहुंचे थे तब पूरे शहर को हजारों तेल के दीपकों को जला कर उनका स्वागत किया गया था। पूरी अयोध्या को फूलों और सुंदर रंगोली से सजाया गया था। तब से, दिवाली को रोशनी का त्योहार कहा जाता है।

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भगवान राम का अपने घरों में स्वागत करने के लिए लोग तेल के लैंप के साथ सजावट करते हैं यही कारण है कि इस त्योहार को ‘दीपावली’ भी कहा जाता है। तेल के दीयों की परंपरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

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लोग अपने घरों के प्रवेश द्वार पर सुंदर रंगोली और पादुका (पादलेख) चित्रण करके देवी लक्ष्मी का स्वागत करते हैं। दिवाली के त्योहार को मनाने के लिए लोग दोस्तों, रिश्तेदार और पड़ोसियों को मिठाई और फल बांटते है।

क्यूँ जरुरी है माँ लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा :

अधिकांश घरों में दीपावली के दिन लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा  की जाती है। हिन्दू मान्यतानुसार अमावस्या की रात्रि में लक्ष्मी जी धरती पर भ्रमण करती हैं और लोगों को वैभव का आशीष देती है।

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दीपावली के दिन गणेश जी की पूजा का यूं तो कोई उल्लेख नहीं परंतु उनकी पूजा के बिना हर पूजा अधूरी मानी जाती है। इसलिए लक्ष्मी जी के साथ विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की भी पूजा की जाती है।

दीपावली पर्व के पीछे छोटी सी कथा :

अपने प्रिय राजा श्री राम के वनवास समाप्त होने की खुशी में अयोध्यावासियों ने कार्तिक अमावस्या की रात्रि में घी के दिए जलाकर उत्सव मनाया था। तभी से हर वर्ष दीपावली का पर्व मनाया जाता है। इस त्यौहार का वर्णन विष्णु पुराण के साथ-साथ अन्य कई पुराणों में किया गया है।

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दीपावली के दिन को हम बड़े धूम-धाम से ख़ुशी के साथ मनाते हैं। बड़ी दिवाली 19 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन, लोग लक्ष्मी पूजा करते हैं, मिठाई और उपहार के साथ एक दूसरे के घर जाते हैं, पटाखे जलाते हैं और अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताते हैं।

दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है और अंततः पांच दिवसीय उत्सव भाई दूज के साथ समाप्त होता है जहां बहने अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और भाई बहन एक-दूसरे की भलाई के लिए प्रार्थना करते हैं।

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