धनतेरस की पूजा कब की जाती है :
दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस पर पूजा का विशेष महत्व होता है। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक धनतेरस कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन यानि दिवाली दो दिन पहले मनाया जाता है। और इस दिन धन और आरोग्य के लिए भगवान धन्वंतरि पूजे जाते हैं।
इस दिन कुबेर भगवान की पूजा की जाती है। इसी दिन भगवान धनवन्तरी का जन्म हुआ था जो कि समुन्द्र मंथन के दौरान अपने साथ अमृत का कलश और आयुर्वेद लेकर प्रकट हुए थे और इसी कारण से भगवान धनवन्तरी को औषधी का जनक भी कहा जाता है।
धनतेरस के दिन सोने-चांदी के बर्तन खरीदना भी शुभ माना जाता है। इस दिन धातु खरीदना भी बेहद शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है, कि भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से किस्मत चमक जाती है। और घर मे खुशियाँ आती है, घर के सारे सदस्य मिलजुल कर सुखी जीवन व्यतीत करते है।
यह भी पढ़ें :अहोई अष्टमी का उपवास संतान की रक्षा और उसके कल्याण के लिए
आपको बता दें कि धन का मतलब समृद्धि और तेरस का मतलब तेरहवां दिन होता है। धनतेरस यानी अपने धन को तेरह गुणा बनाने और उसमें वृद्धि करने का दिन। कारोबारियों के लिए धनतेरस का खास महत्व होता है। क्योंकि धारणा है, कि इस दिन लक्ष्मी पूजा से समृद्धि, खुशियां और सफलता मिलती है। साथ ही सभी के लिए इस पूजा का खास महत्व होता है।
कब है? शुभ मुहूर्त और कब करें खरीदारी :
खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त धनतेरस वाले दिन शाम 7.19 बजे से 8.17 बजे तक का है।
धनतेरस की पूजा कैसे करें :
- सबसे पहले मिट्टी का हाथी और धन्वंतरि भगवानजी की फोटो स्थापित करें।
- चांदी या तांबे की आचमनी से जल का आचमन करें।
- भगवान गणेश का ध्यान और पूजन करें।
- हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर भगवान धन्वंतरि का ध्यान करें।
पूजा करते समय इस मंत्र का जप करें :
देवान कृशान सुरसंघनि पीडितांगान, दृष्ट्वा दयालुर मृतं विपरीतु कामः
पायोधि मंथन विधौ प्रकटौ भवधो, धन्वन्तरि: स भगवानवतात सदा नः
ॐ धन्वन्तरि देवाय नमः ध्यानार्थे अक्षत पुष्पाणि समर्पयामि…