बच्चे मन के सच्चे, ये बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं। उन्हें जैसा रूप देना चाहें, दे सकते हैं। उनके अच्छे भविष्य और उन्हें बेहतर इंसान बनाने के लिए सही ढंग से बच्चे की परवरिश जरूरी है। बच्चे के साथ आपका व्यवहार ऐसा हो ताकि वो नटखट तो बनें पर बिगड़े नहीं।
जब माता-पिता इस बात को समझने लगते हैं कि किन चीजों में मर्यादा रखी जाए, कहां प्रोत्साहित किया जाए और कहाँ अंकुश रखा जाए, तो उनके बच्चें बिगड़ेंगे नहीं। इस तरह वे अच्छे माता-पिता बन सकते हैं।
हर बच्चा अलग होता है। उन्हें पालने का तरीका अलग होता है। बच्चों की सही परवरिश के लिए हालात के मुताबिक परवरिश की जरूरत होती है। हमें ये समझना होगा कि बच्चे के साथ कैसे पेश आएं कि वह अनुशासन में रहे।
ऐसी ही कुछ बातें जानेंगे, जिनसे आपको समझने में सहायता मिले:
1. बच्चों के साथ बिताएं वक्त: हर माता-पिता अपने बच्चे का पालन-पोषण अच्छी तरह से करना चाहते है, उसके लिए सबसे पहले आपको अपने बच्चे के लिए भरपूर समय निकालना चाहिए। अपने बच्चे को समय देने से उनको समझने और समझाने में काफी मदद मिलती है।
2. संवेदनशील होना जरुरी- बच्चों को डाटने और मारने के आलावा उनको प्यार से अपनी बात समझानी चाहिए। आपको अपने बच्चे के प्रति केयरिंग, लविंग और धैर्यवान होना जरुरी है। माता-पिता का संवेदनशील होना एक अच्छे पेरेंट्स की पहली निशानी होती है। अपने बच्चे की गलती पर उसे प्यार से समझा कर बात को खत्म कर देना चाहिए।
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3. ऑफिस का गुस्सा बच्चे पर न निकाले– अक्सर ऐसा होता है कि माता-पिता अपने काम और ऑफिस का गुस्सा अपने घर और बच्चों पर निकालना शुरू कर देते है, जिससे बच्चों पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है।
बच्चों को कुछ सिखाते वक़्त अपने कामों को उनकी बातों को एक तरफ कर के अपने बच्चें को अच्छी शिक्षा दें। बच्चों पर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर बिल्कुल न करें।
4. बच्चों के साथ खानपान और उनके साथ खेलें:- अपने बच्चे की परवरिश के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य की भी जिम्मेदारी आपकी बनती है। एक अच्छे माता-पिता का कर्तव्य ये भी है कि अपने बच्चें का पूर्ण रूप से खानपान अच्छा होना चाहिए बच्चे की बढ़ती उम्र में बच्चे को काफी पोषक तत्वों की जरूरत होती है।
अपने बच्चे के साथ खेलना और उनका दोस्त बनना जरुरी होता है। बच्चे के साथ खेलने से उनका आपके प्रति प्यार बढ़ने लगेगा और एक अच्छा माता-पिता होने के लिए आपको बच्चें को खेलते वक़्त ही बहुत सी चीजें सीखा देनी चाहिए। हमेशा बच्चें को खुद अपना खेल चुनने दें और उसके साथ उसी ढंग से खेलें।
5. बच्चे को लालच न दें– बच्चे को किसी भी प्रकार का लालच कभी नहीं देना चाहिए, बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो बच्चे को सही तरीके से बर्ताव करने के लिए लालच देने लगते है जिसकी वजह से बच्चा अपने डिमांड को पूरा करने के लिए और ज़ोर से रोने लगता है। इस आदत से अक्सर बच्चा हर चीजों को देख कर ऐसा बर्ताव करने लगता है।
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6.पब्लिक में बच्चे पर न चिलाएं- कभी भी पब्लिक में अपने बच्चे की गलतियों पर नहीं चिलाना चाहिए। पब्लिक जगहों में बच्चे पर चिल्ला देने से वो अक्सर आपकी बातों को नहीं सुनकर दुसरो को देखने लग जाता है कि कौन-कौन उनको सुन रहा है, यही नहीं पब्लिक पर अपने बच्चे के ऊपर चिल्लाने से बच्चें पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
7.बच्चे की बातें सुने, सरहाना करें और दोस्ती करना सिखाएं :-अपनी बातचीत को दोनों तरफ से चलना काफी जरुरी होती है, अगर आप अपने बच्चे को कुछ बात बोल रहे हैं तो आपका कर्तव्य बनता है कि आप उनकी भी बातें सुनें। अपने बच्चों की बातें पूरे मन और लगन से सुनने की आदत डालें और उनको ये नहीं दिखाए कि आप जबरदस्ती उनकी बातें सुनते है इसकी वजह से घर में बच्चे की बातचीत घरवालों से कम होने लग जाती है।
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अपने बच्चे की सरहाना करना एक अच्छे माता-पिता की निशानी होती है, बच्चों की उपलब्धियों की सरहाना करने से बच्चें का मनोबल और जागने लगता है और बच्चा अच्छा महसूस करने लगता है। बच्चों की सरहाना करना से उनको आत्मविश्वासी व साहसी बनने में काफी मदद मिलती है।