योगी आदित्यनाथ और ऋचा :
कहते हैं इतिहास पुनः अपने आप को दोहराता है और वक्त बहुत ही बलवान होता है , न जाने कब किसका बदल जाये. हाल ही में उत्तर प्रदेश की राजनीति में जो हुआ वो इस बात का एक गवाह है. यूँ इस तरह से यूपी में बीजेपी को प्रचंड जीत हासिल होना और एक कट्टर हिन्दू छवि नेता का सूबे का मुख्यमंत्री बनना अपने आप में बहुत बड़ी बात है. लेकिन योगी जी की ताजपोशी के पीछे किसी और का नहीं वल्कि खुद मोदी जी का ख्याल और हाथ है.आपको बता दें की इस कहानी की पूरी स्क्रिप्ट इलाहाबाद की धरती पर आज से लगभग ढाई साल पहले ही लिख दी गई थी. उस वक्त इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का चुनाव हो चुका था और छात्रसंघ के इतिहास में देश की आजादी के बाद पहली महिला अध्यक्ष बनने का गौरव ऋचा सिंह को मिला था. पर उसी दरमियान उत्साह से लबरेज ऋचा ने ऐसा कारनामा किया कि उसकी पीड़ा ढाई साल से भाजपा को तकलीफ देती रही.
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दरअसल (ABVP) अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने छात्रसंघ का उद्घाटन करने के लिए भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ को इलाहाबाद बुलाया गया था. लेकिन समाजवादी छात्रसंघ इकाई की नेता ऋचा सिंह ने योगी जी के विरूद्ध खुल्लम खुल्ला मोर्चा खोल दिया. जिसके चलते योगी जी को अपना इलाहावाद आने का कार्यक्रम रद्द करना पड़ा. जिसके चलते इलाहाबाद नहीं आ सकने का दर्द उन्हें अन्दर ही अन्दर चुभता रहा. लेकिन इस चुनाव में न सिर्फ सपा का सफाया हुआ, बल्कि उस वक्त की तल्ख़ तेवरों वाली समाजवादी नेत्री ऋचा भी बुरी तरह से हार कर चुप्पी साधे हुये हैं.
कहा जाता है उस वक्त छात्रसंघ की पावर के दम पर ऋचा योगी जी को इलाहावाद आने से रोकने में कामयाब हो गई हों मगर उन्हें उस वक्त योगी जी की पावर का एहसास नहीं था. भले ही उस समय योगी जी की साख को नुकसान पहुंचाने में ऋचा कामयाब हो गई थीं. क्यूंकि एकाएक ऋचा सिंह बनाम योगी की खबरें मीडिया में सुर्खियां बटोरने लगीं और देखते ही देखते समाजवादी छात्र सभा की नेत्री ऋचा सपा के लिये राजकुमारी हो गईं. चूंकि पहले कभी योगी जी का इस तरह से कभी विरोध नहीं हुआ था और न ही योगी जी कभी ऐसे झुके थे. लेकिन इस घटना ने ऋचा का कद उसकी हैसियत से कहीं अधिक ऊंचा कर दिया.
अपने साथ छात्रों की पावर के चलते योगी आदित्यनाथ जी पर हमलावर हुई ऋचा ने ऐलान कर दिया कि वह किसी भी कीमत पर योगी को इलाहाबाद नहीं आने देंगी. ऋचा ने कहा था कि वह विश्वविद्यालय में भगवाकरण की राजनीति नही चलने देंगी. ऋचा ने सपा के टिकट पर शहर पश्चिमी से चुनाव लड़ने का संकेत दे दिया तो भाजपा ने ऋचा को भगवाकरण की राजनीति का एहसास दिलाने के लिये प्लान तैयार किया. प्रधानमंत्री मोदी जी ने यहां ऋचा को रोकने के लिये एक्स्पेरमेन्टल ब्वाय सिद्धार्थ नाथ सिंह को उतारा. सिद्धार्थ ने पीएम के एक्स्पेरमेन्ट को सही साबित किया. उन्होंने योगी को रोके जाने का बदला ऋचा के राजनीतिक कैरियर को रोक कर लिया. अब जब योगी जी ने देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की सत्ता सभाल ली और सबसे ऊँचे ओहदे सीएम की कुर्सी पर बैठ गए हैं तो इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने जश्न मनाया और तख्तियां पर लिखा कि देखते हैं अब कौन रोकेगा योगी जी को इलाहाबाद आने से.
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