वेतन न मिलने से नाराज एमसीडी के करीब डेढ़ लाख कर्मचारी हड़ताल पर चले गए । दिल्ली में नगर निगम के एक लाख से ज़्यादा कर्मचारियों की हड़ताल के चलते सड़कों से लेकर निगम के स्कूल अस्पतालों में असर दिखने लगा है। अपनी मांगों को लेकर एमसीडी कर्मचारियों ने दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के कैंप ऑफिस के बाहर पटपड़गंज में प्रदर्शन किया। इस हड़ताल में तीनों निगमों के सफाई कर्मचारी, शिक्षक, डॉक्टर सब शामिल हैं।
एमसीडी कर्मचारियों ने कल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर के सामने और जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया था। दिल्ली के तीनों नगर निगमों के कुल सवा लाख कर्मचारी हैं जिनमें से करीब 60 हज़ार सफ़ाई कर्मचारी हैं। सफाई कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से ढलाव से ही नहीं बल्कि सड़कों और गलियों से भी कूड़ा उठना बंद हो गया है।
दिल्ली के तीनों नगर निगम अपने कर्मचारियों को तीन महीने से पैसा नहीं दे पा रहे। निगम कहता है, दिल्ली सरकार उसका फंड नहीं दे रही। जबकि, दिल्ली सरकार का दावा है कि उसने निगमों को इस साल 2000 करोड़ रुपये दे दिए हैं। निगम का दावा 3000 करोड़ का है। इस मसले पर वह कोर्ट जाने को तैयार है
कर्मचारियों की मांग-
महीने की पहली तारीख़ को मिले वेतन
तीनों नगर निगमों को फिर से एक किया जाए
बक़ाया वेतन का भुगतान तुरंत हो
हड़ताल के दौरान पूर्वी दिल्ली में कूड़ा नहीं उठाया जाएगा हालांकि उत्तरी दिल्ली में निजी सेवा होने की वजह से वहां इस हड़ताल का असर नहीं पड़ेगा।हड़ताल कर्मचारियों ने धमकी दी है कि अगर 31 जनवरी तक उनके रुके वेतन नहीं दिए तो वो बेमियादी हड़ताल पर चले जाएंगे। दोनों एमसीडी के मेयरों ने दावा किया है कि सरकार से मदद मिले बगैर वो कर्मचारियों का वेतन देने में असमर्थ हैं और अगर हालात नहीं सुधरे तो दोनों निगम दिवालिया हो जाएंगे।
राजनीतिक दलों की सियासत में कोई किसी की चिंता नहीं करता है। कल एक बच्चे की स्कूल के गटर में गिरने से दर्दनाक मौत हो गई, वहीँ आज भी दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी और केंद्र में कब्जे वाली भाजपा एमसीडी की राजनीति लड़ाई में व्यस्त दिखी। दिल्ली एमसीडी के अंतर्गत आने वाले दक्षिणी दिल्ली के कापसहेड़ा इलाके में प्राथमिक विद्यालय में गटर का काम चल रहा था लेकिन आज दिल्ली में एमसीडी कर्मचारियों की हड़ताल के कारण उसका ढक्कन खुला का खुला रह गया।