जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में देश विरोधी नारेबाजी को लेकर जारी सियासी घमासान के बीच बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधा है। साथ ही कांग्रेस की राष्ट्रभक्ति पर भी सवाल उठाए हैं। शाह ने जेएनयू मामले में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि वह देश विरोध और देश हित का अंतर तक नहीं समझ पा रहे हैं और उन्होंने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उनकी सोच में राष्ट्रहित जैसी भावना का कोई स्थान नहीं है।
अमित शाह ने एक ब्लॉग में लिखा कि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की सफलता से निराश और हताश कांग्रेस गहरे अवसाद से ग्रस्त हैं। कांग्रेस उपाध्यक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि राहुल तो इस हताशा में देश विरोधी और देश हित का अंतर तक नहीं समझ पा रहे हैं।जेएनयू में जो कुछ भी हुआ उसे कहीं से भी देश हित के दायरे में रखकर नहीं देखा जा सकता है। देश के एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में देश विरोधी नारे लगें और आतंकवादियों की खुली हिमायत हो, इसे कोई भी नागरिक स्वीकार नहीं कर सकता।
लेकिन कांग्रेस उपाध्यक्ष और उनकी पार्टी के अन्य नेताओं ने जेएनयू जाकर जो बयान दिए हैं उन्होंने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उनकी सोच में राष्ट्रहित जैसी भावना का कोई स्थान नहीं है।
मैं उनसे पूंछना चाहता हूं कि इन नारों का समर्थन करके क्या उन्होंने देश की अलगाववादीशक्तियों से हांथ मिला लिया है?
क्या वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में देश में अलगाववादियों को छूट देकर देश का एक और बटवारा करवाना चाहते हैं?
इन छात्रों को सही ठहराकर राहुल गांधी किस लोकतांत्रिक व्यवस्था की वकालत कर रहे हैं। क्या राहुल गांधी के लिए राष्ट्रभक्ति की परिभाषा यही है? – मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि इन नारों का समर्थन करके क्या उन्होंने देश की अलगाववादी शक्तियों से हाथ मिला लिया है? –
क्या वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में देश में अलगाववादियों को छूट देकर देश का एक और बटवारा करवाना चाहते है? – मैं राहुल गांधी से पूंछना चाहता हूँ कि क्या केंद्र सरकार का हाथ पर हाथ धरे बैठे रहना राष्ट्रहित में होता ? –
क्या आप ऐसे राष्ट्रविरोधियों के समर्थन में धरना देकर देशद्रोही शक्तियों को बढ़ावा नहीं दे रहे है? –
मैं राहुल गांधी से जानना चाहता हूं कि 1975 का आपातकाल क्या उनकी पार्टी के प्रजातांत्रिक मूल्यों को परिभाषित करता है और क्या वह इंदिरा गांधी की मानसिकता को हिटलरी मानसिकता नहीं मानते? –
इसी आतंकी हमले के दोषी अफजल गुरू का महिमा मंडल करने वालों और कश्मीर में अलगाववाद के नारे लगाने वालों को समर्थन देकर राहुल गांधी अपनी किस राष्ट्रभक्ति का परिचय दे रहे है? –
मैं उनसे पूंछना चाहता हूं कि अभी हाल में सियाचिन में देश की सीमा के प्रहरी 9 सैनिकों जिनमे लांस नायक हनुमंथप्पा एक थे के बलिदान को क्या वह इस तरह की श्रद्धांजलि देंगे?