मोदी सरकार 2018 से हज सब्सिडी खत्म करने की तैयारी कर रही है। द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक इस साल जनवरी में सरकार द्वारा गठित एक समिति ने हज सब्सिडी तुरंत ख़त्म करने की सिफारिश की थी और अब सरकार इस सिफारिश को पूरा करने का मन बना चुकी है।
सूत्रों के मुताबिक नई हज नीति पर विचार के लिए गुरुवार को ही दिल्ली में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई थी। इसमें विदेश, नागरिक उड्डयन और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालयों के अधिकारी शामिल थे। इसके अलावा एयर इंडिया और हज कमेटी ऑफ इंडिया के प्रतिनिधि भी बैठक में थे।इसी में अगले साल से हज सब्सिडी खत्म करने का फैसला किया गया है।बैठक में मौजूद एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर इसकी पुष्टि की है।
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दरअसल अगले साल से लागु होने वाली हज पालिसी का ड्राफ्ट अल्पसंख्यक के मंत्री मुख़्तार अब्बास नकवी को पहले ही सौंपा जा चुका है। जिसमे हज सब्सिडी ख़त्म करने का प्रपोजल है। अब सिर्फ इसे लागू करने का ही काम बचा है।अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी ने कहा कि हज सब्सिडी से बचने वाली रकम को मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा पर खर्च किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2012 में दिए गए फैसले से पहले 650 करोड़ रुपए की हज सब्सिडी दी जाती थी। 2012 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इसे धीरे-धीरे कम किया गया। फिलहाल इसके लिए 450 करोड़ रुपए दिए जाते हैं।
माना जा रहा है कि इससे असम और झारखंड जैसे राज्यों पर फर्क पड़ेगा जहां से वैसे भी कम लोग यात्रा के लिए जाते हैं। इस साल 1 लाख 70 हजार लोग हज यात्रा पर गए थे। वहां जाने के लिए सबसे सस्ता प्लान 2 लाख 10 हजार का पड़ता है। वहीं प्राइवेट टूर पर जाने वाले को चार से छह लाख रुपए तक चुकाने पड़ते हैं। आंकड़ो के मुताबिक हज यात्रा पर प्रतिव्यक्ति दो से 10 लाख रुपए तक खर्च होते हैं।
अल्पसंख्यक मामलों के एक अधिकारी के मुताबिक सरकार ने हज कमेटी के अन्य सुझाव तो माने हैं लेकिन सब्सिडी के मुद्दे पर स्पष्ट कर दिया है कि यह 2018 से ही खत्म कर दी जाएगी। इसका पैसा अल्पसंख्यक समुदाय के लिए ही चलाई जा रही अन्य कल्याणकारी योजनाओं में लगाया जाएगा।