बच्चे घर की रौनक:
बच्चे घर की रौनक होते हैं। इन मासूमों के साथ अगर कुछ गलत हो जाए तो मां-बाप कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। आजकल बच्चों के साथ यौन-शोषण के मामले आम सुनने को मिलते हैं। कई बार तोे यह बात ही समझ नहीं आती कि आखिर बच्चा किस जगह पर सुरक्षित है।
बच्चे को गुड टच और बैड टच के बारे में जानकारी :
आज के जमाने में किसी पर यकीन कर पाना भी मुश्किल है। ऐसे मे जरूरी है कि अपने बच्चे को गुड टच और बैड टच के बारे में जानकारी जरूर दें ताकि इन मासूमों को भी पता चले कि उनके साथ जो हो रहा है वह अच्छा है या बुरा।
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बच्चे कहानियां बहुत चाव से सुुनते हैं। आप अपनी किसी भी बात को कहानी के जरिए बहुत अच्छी तरह समझा सकते हैं। उनको बताएं कि गुड टच और बैड टच क्या है। कैसे आप इससे बच सकते हैं।
अच्छी माँ कैसे बनें :
बच्चे किसी अच्छी या बुरी बात के बारे में कुछ नहीं पता होता। मां को गुड और बैड टच के फर्क के बारे में बच्चे से जरूर बात करनी चाहिए। एक माँ ही अपनी संतान को खुश रख सकती है और जितना वो उनको सिखा सकती है। दूसरा कोई नही । एक माँ के रूप में, आप अपने बच्चों की भलाई के लिए जीते हैं, सांस लेते हैं, और उनके लिए बलिदान देते हैं।
उन्हें सफल होता देखना दुनिया का सबसे बड़ा सुख है, और उन्हें लड़खड़ाता देखना सबसे अधिक पीड़ा-दायक है। याद रखने लायक महत्वपूर्ण बात यह है कि बच्चों पर निवेश किये प्यार से निश्चित तौर पर फ़र्क़ पड़ता है हालाँकि आप पहली बार में इसका फल नहीं देख सकते है। आपको कई बार कोशिश करनी पड़ सकती है । आप चाहेंगे की आपका बच्चा दुनिया का सबसे अच्छा बच्चा हो।
अपने बच्चों के सपनों का समर्थन करें, उन्हें प्रोत्साहन दें और ऐसा करने का अवसर प्रदान करें जिससे वो अपने सपनों को साकार कर सकेँ।
जरुरी बातें जो आपको ध्यान में रखनी होंगी :
यदि, आपकी बेटी दवा का अध्ययन कर डॉक्टर नहीं बनना चाहती है? तो नाराज न हों, यह आपके बच्चे का जीवन है और वह अपने कुछ निर्णय खुद कर सकते हैं।
इस बात को समझें की आप के बच्चे की सोच आप से अलग हो सकती है। इस बात पर उग्र होने की आवश्यकता नहीं कि उनकी सोच आप से अलग है।
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कौन परवाह करता है यदि आपकी बेटी हिप हॉप संगीत सुनती है और अत्यधिक मात्रा में आईलाइनर लगाती है, वह तब भी आपकी बेटी है।
हो सकता है आप वह ना करें जो आपके बच्चे कर रहे हैं लेकिन यह उनका निर्णय है आपका नहीं। पहले से ही आपका उनके जीवन पर एक बड़ा प्रभाव पड़ता है – यह आप ने तय करा कि वह कौन से स्कूल में जाएँ, वो रात के खाने मे क्या खाएं, उन्हें सप्ताह के खर्च के लिए कितना पॉकेट मनी मिले आदि। इसे और ज़्यादा न करें।