जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में बीएसएफ की बस पर हुए आतंकी हमले में कई और जाने जा सकती थीं, यदि रॉकी और शुभेंदु राय आतंकियों को डट कर मुकाबला न करते। बीएसएफ के डीजी डीके पाठक ने बताया, ‘जिस बस पर आतंकियों ने गोलीबारी की थी, उसमें सिर्फ रॉकी ही एक ऐसा जवान था, जिनके पास हथियार थे।’ डीजी ने रॉकी की तारीफ करते हुए कहा कि उसने बस में सवार सभी जवानों की जान बचाने का काम किया।
आतंकियों का मुकाबला करते हुए जान न्योछावर करने वाले रॉकी को जैसे ही यह पता चला कि बस में कोई फायरिंग कर रहा है, उन्होंने तुरंत अपने हथियार तैयार कर लिए। रॉकी को यह पता चल चुका था कि बस चला रहे कांस्टेबल शुभेंदु भी आतंकियों की गोली से घायल हो गए हैं। लेकिन शुभेंदु ने घायल होने के बाद भी बस चलाना जारी रखा ताकि आतंकी बस में न घुस सकें।
इसी दौरान रॉकी ने देखा कि आतंकी बस का दरवाजा खोल अंदर घुसने का प्रयास कर रहे हैं, उन्होंने अपना निशाना दरवाजे की ओर साधा और ताबड़तोड़ गोलियां दागीं। जिससे एक आतंकी मौके पर ही ढेर हो गया। रॉकी ने अपनी बंदूक की हर गोली आतंकी के शरीर पर उतार दी। हालांकि एक आतंकी मौके से फरार हो गया, जिसे बाद में बंधक बनाए ग्रामीणों ने दबोचा।
डीके पाठक ने कहा कि यदि रॉकी और शुभेंदु इस तरह वीरता से आतंकियों का मुकाबला न करते तो हमें और नुकसान उठाना पड़ता, बुरी तरह घायल होने के बाद भी रॉकी ने मोर्चा संभाले रखा। इस बीच सरकार ने संसद में इस बात का ऐलान किया कि वह दोनों जवानों को गैलेंट्री अवॉर्ड दिए जाने की सिफारिश करेगी।