उल्का 3200-फायथन:
12 अगस्त के बाद 21 अक्टूबर, 16 नवंबर और 15 दिसंबर को उल्काएं वायुमंडल में नजर आई । 3200 फायथन’ नाम की यह उल्का कल पृथ्वी के करीब से गुजर रही है। 9 नवंबर 2017 व्हेल के आकार जितनी विशाल एक उल्का धरती के करीब से होकर गुजर गई और किसी को कानों-कान खबर तक नहीं हुई।
अगले दिन 10 नवंबर 2017 को अमेरिका के हवाई स्थित मौना लोआ ऑब्जरवेटरी ने इसे पहली बार पकड़ा। 9 किलोमीटर/सेकेंड की तूफानी रफ्तार से ये उल्का धरती से दूर जा रही थी। जब इसके पथ की गणना की गई तो वैज्ञानिकों की सांसें मानों थम सी गईं।
‘2017 वीएल2’ नाम की करीब 32 मीटर बड़ी ये उल्का एक दिन पहले पृथ्वी से मात्र 1.17 लाख किलोमीटर की दूरी से बिना किसी की पकड़ में आए चुपचाप गुजर गई थी।उल्का ‘2017 वीएल2’ यदि धरती से टकरा गई होती तो 5 किलोमीटर दायरे के इलाके से जीवन का नामोनिशान मिट गया होता।
कल पृथ्वी के पास से गुजर रही है 3200-फायथन:
अब इससे भी कई गुना विशाल एक भीमकाय उल्का धरती के नजदीक से गुजरने वाली है और दुनियाभर के वैज्ञानिक सांसें थामे उसे गुजरता हुआ देखने की तैयारी में हैं। 16 दिसंबर 2017 को ‘3200 फायथन’ नाम की अंतरिक्ष में तैरती 5 किलोमीटर के आकार वाली एक अस्वाभाविक सी विशाल चट्टान पृथ्वी के करीब से गुजर रही है।
पिछले 40 साल में पृथ्वी के करीब से नहीं गुजरी है इतनी बड़ी उल्का:
ये विशालतम उल्का ‘3200 फायथन’ पृथ्वी से 1.03 करोड़ किलोमीटर की दूरी से गुजर रही है। धरती पर ये दूरी शायद बहुत ज्यादा लगे, लेकिन अंतरिक्ष के पैमाने पर ये कोई बहुत ज्यादा दूरी नहीं है। इसीलिए इस उल्का को खतरनाक मानते हुए इसे ‘नियर अर्थ ऑब्जेक्ट्स’ में शामिल किया गया है।‘3200 फायथन’ जितनी विशाल कोई उल्का पिछले 40 साल में पृथ्वी के करीब से नहीं गुजरी है।
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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ‘नियर अर्थ ऑब्जेक्ट्स’ प्रोग्राम के अंतर्गत ऐसे सभी धूमकेतुओं और उल्काओं की निगरानी करती है जिनका आकार 100 मीटर से अधिक हो और जिनके खतरनाक हद तक पृथ्वी के करीब आ सकने की आशंका हो। उल्का ‘2017 वीएल2’ के मामले में उल्काओं और धूमकेतुओं के निगरानी का अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम असफल साबित हुआ है।
डायनासोरों की सफाया करने वाली उस उल्का से लगभग आधा है 3200- फायथन
6.5 करोड़ साल पहले न्यू मैक्सिको की खाड़ी में एक विशाल उल्का की जबरदस्त टक्कर हुई था। ये भयंकर टक्कर और इसके नतीजे इस कदर विनाशकारी थे कि उस वक्त के धरती के राजा विशाल डायनासोरों का एक-एक करके पूरी धरती से ही सफाया हो गया। 16 दिसंबर 2017 को पृथ्वी के करीब से गुजर रही विशालतम उल्का ‘3200 फायथन’ का आकार डायनासोरों की सफाया करने वाली उस उल्का से लगभग आधा है।
एक आकलन के मुताबिक हर साल 37,000 से 78,000 टन तक धूल और छोटी उल्काओं की बारिश धरती पर होती है। 25 मीटर तक के आकार वाली उल्काएं खतरनाक नहीं होतीं क्योंकि वातावरण में प्रवेश करते ही इनका ज्यादातर हिस्सा जलकर खत्म हो जाता है। लेकिन इससे बड़े आकार वाली उल्काओं को खतरनाक माना जाता है।
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फिलहाल विशालतम उल्का ‘3200 फायथन’ के धरती से टकराने की कोई संभावना नहीं है। लेकिन दुनियाभर की ऑब्जरवेटरीज और एमेच्योर टेलीस्कोप्स के साथ वैज्ञानिक इस उल्का की पल-पल की निगरानी कर रहे हैं। ‘3200 फायथन’ अपने गुजरने के रास्ते में काफी मात्रा में धूल और मलबा भी बिखेरती जा रही है।
नासा के मेट्योराइट एनवायरमेंट सेंटर के बिल कुक बताते हैं कि ये धूल और मलबा अगले साल तक पृथ्वी से टकरा सकता है और तब लोगों को आसमान में मेट्योर शॉवर का शानदार नजारा देखने को मिलेगा।