योग विश्व इतिहास का सबसे पुराना विज्ञान:
आपको बता दें कि योग विश्व इतिहास का सबसे पुराना विज्ञान है, जिसने व्यक्ति के अध्यात्मिक और शारीरिक क्रियाकलापों के लिए नए द्वार खोले। योग का जन्म कब हुआ? वेदों एवं जैन ग्रंथों में योग का वर्णन मिलता है लेकिन फिर भी योग इससे पहले भी विद्यमान था, भले ही वो किसी ग्रंथो में न लिखा गया हो क्योंकि ऋषि परम्परा के कारण योग का ज्ञान मौखिक रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी चलता आया है।
योग शब्द का अर्थ :
योग शब्द का अर्थ है समाधि लगाना। योग क्रिया को परमात्मा से मेल का साधन भी माना जाता है। श्रीमद्भागवत गीता में श्री कृष्ण जी ने कहा है कि योग: कर्मसु कौशलम् अर्थात कर्मों में कुशलता को योग कहते हैं। श्रीमद्भागवत गीता के छठे अध्याय में पारंपरिक योग के अभ्यास, ध्यान पर चर्चा करते हुए कर्म योग, भक्ति योग और ज्ञान योग के बारे में बताया गया है। कुछ विद्वानों का मत है कि जीवात्मा और परमात्मा के मिल जाने को योग कहा जाता है।
भक्ति योग- भक्ति का योग। भगवान् के प्रति भक्ति । इसे भावनात्मक आचरण वाले लोगों को सुझाया जाता है। और ज्ञान योग- ज्ञान का योग अर्थात ज्ञान अर्जित करने का योग। भगवत गीता के छठे अध्याय में बताए गए सभी योग जीवन का आधार है। इनके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती।
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अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को ही क्यों?
21 जून को ही अंतरराष्ट्रीय योग दिवस बनाए जाने के पीछे वजह ये है कि इस दिन ग्रीष्म संक्रांति होती है। इस दिन सूर्य धरती की दृष्टि से उत्तर से दक्षिण की ओर चलना शुरू करता है। यानी सूर्य जो अब तक उत्तरी गोलार्ध के सामने था, अब दक्षिणी गोलार्ध की तरफ बढ़ना शुरू हो जाता है। योग के नजरिए से यह समय संक्रमण काल होता है, यानी रूपांतरण के लिए बेहतर समय होता है।
सद्गुरु के अनुसार, “ग्रीष्म संक्राति के दिन अपने ध्यान से उठने के बाद आदियोगी दक्षिण की ओर घूमे, जहां उनकी सबसे पहली नजर सप्त ऋषियों पर पड़ी। ये सात ऋषि उनके पहले सात शिष्य थे, जो योग विज्ञान को दुनिया के हर कोने में ले गए। यह बेहद खुशी की बात है कि 21 जून मानवता के इतिहास में उस महान घटना का प्रतीक बन गया।
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योग की महत्ता को यूनाइटेड नैशंस ने भी माना :
आपको बता दें वह एक ऐतिहासिक क्षण था। 11 दिसंबर 2014 – यूनाइटेड नैशंस की आम सभा ने भारत द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए 21 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में घोषित कर दिया। इस प्रस्ताव का समर्थन 193 में से 175 देशों ने किया और बिना किसी वोटिंग के इसे स्वीकार कर लिया गया।
यूनाइटेड नैशंस ने योग की महत्ता को स्वीकारते हुए माना कि योग मानव स्वास्थ्य व कल्याण की दिशा में एक संपूर्ण नजरिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 14 सिंतबर 2014 को पहली बार पेश किया गया यह प्रस्ताव तीन महीने से भी कम समय में यूनाइटेड नैशंस की महासभा में पास हो गया।
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