आम तौर ये माना जाता है कि फेफड़ों का कैंसर केवल पुरुषों को होता है। अगर आप भी ऐसा सोच रहे हैं तो आप पूरी तरह गलत हैं। अब महिलाओं को भी फेफड़ों का कैंसर हो सकता है। फेफड़ों का कैंसर अब केवल धूम्रपान करने वाले लोगों तक ही सीमित नहीं है। सर गंगा राम हॉस्पीटल के सेंटर फॉर चेस्ट सर्जरी के चेयरमैन अरविंद कुमार के अनुसार, आने वाले कुछ सालों में इस खतरनाक और जानलेवा बीमारी का असर महिलाओं में भी देखने को मिल सकता है।
क्या हैं लक्षण
अरविंद कुमार कहते हैं कि तगड़ी सर्दी, बलगम और कफ जैसे लक्षण दिखाई देने पर सावधानी बरतते हुए किसी अच्छे डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, लेकिन जागरूकता की कमी की वजह से लोग अक्सर मौसम को जिम्मेदार बताते हुए हल्दी दूध और घरेलू नुस्खों को आजमाते हैं जो इन बीमारियों के बढ़ने की मुख्य वजह है। हकीकत में सही समय पर इलाज न मिल पाना ही इस बीमारी की बड़ी वजह है।
कैंसर के जिम्मेदार कारक
कुमार के अनुसार, सिगरेट में निकोटीन, कोकीन, हेरोइन और 4000 से ज्यादा केमिकल्स मौजूद होते हैं, जिनमें 50 केमिकल्स कैंसर के कारक होते हैं। ये फेफड़ों को बुरी तरह प्रभावित करते हैं। राजीव गांधी कैंसर संस्थान के थोरेसिक सर्जन एल.एम. डारलोंग कहते हैं कि स्मोकिंग एक फेमस रिस्क फैक्टर है। यह कोल और बॉक्साइट खनन की तरह न केवल फेफड़ों को प्रभावित करता है, बल्कि आसपास के वातावरण को भी जहरीला बनाता है। इसलिए सभी लोगों के बीच यह संदेश जाना चाहिए कि फेफड़ों का कैंसर धूम्रपान करने वालों तक सीमित नहीं है।
मेदांता हॉस्पीटल के सर्जन अली जामिर खां ने बताया कि सिगरेट का धुआं सबसे पहले सांस की नली के उन बालों को नष्ट कर देता है जोकि कीटाणुओं और अन्य कणों को अंदर जाने से रोकते हैं। इसके बाद कफ को बाहर फेंकने वाली श्वास नली जाम हो जाती है। कफ को हल्के में नहीं लेना चाहिए यह कैंसर का शुरुआती लक्षण हो सकता है।
सही समय पर इलाज ज़रूरी
कुल मिलाकर आने वाले समय में हमारा देश फेफड़ों की बीमारियों से ग्रसित हो सकता है। ठीक समय पर बीमारी की पहचान और सही इलाज से इस बीमारी को वश में किया जा सकता है।
जागरूकता की कमी बड़ा खतरा
डॉक्टरों और वैज्ञानिकों की तरह पूरी दुनिया इस बीमारी को बेहतर तरीके से समझने की कोशिश कर रही है। रोगियों में इस खतरनाक बीमारी के प्रति जागरूकता की कमी होना ही चिंता का सबसे बड़ा विषय है।
फेफड़ों के कैंसर से पीड़ितों में भारतीय पुरुष सबसे ज्यादा
पूरे विश्व में फेफड़ों के कैंसर से पीड़ितों में सबसे अधिक संख्या भारतीय पुरुषों की है जिसकी सबसे बड़ी वजह समय रहते इलाज न मिल पाना है और आने वाले समय में इसका असर महिलाओं में भी देखने को मिल सकता है।
Source-Thehealth.com
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