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बिहार: दोनों लालों में तालमेल का न होना लालू प्रसाद यादव क्यूँ है? परेशान.................. 2

बिहार: दोनों लालों में तालमेल का न होना लालू प्रसाद यादव क्यूँ है? परेशान………………

राजनीतिक विरासत को हाइजैक :

लालू यादव की राजनीतिक विरासत को हाइजैक करने फिराक में हैं।  बड़ी बेटी मीसा भारती और दामाद शैलेश कुमार बतौर घर जमाई कुंडली मारकर सास और ससुर के घर बैठे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ दोनों लालों में तालमेल का न होना लालू यादव को काफी परेशान किए हुए है।

लालू यादव का उत्तराधिकारी :

लालू यादव ने अघोषित तौर पर अपने दूसरे बेटे और विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव को अपना उत्तराधिकारी बनाया है। पिछले दो वर्षों में कई मौकों पर लालू यादव और राबड़ी देवी ने बेहिचक घोषित किया है, कि बिहार का अगला मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव हैं।

 लालू-राबड़ी को किस बात का डर है?

आखिर क्या कारण है,  कि अधिकारिक रूप में तेजस्वी को उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया जा रहा है?  इस सवाल का सटीक जवाब है- डर. जी हां, बड़े बेटे तेज प्रताप यादव द्वारा बगावत करने का फीयर साइकोसिस. तुनुकमिजाजी बिद ब्रदर ने कई बार अपने अंदाज में संकेत दे दिया है कि ‘मैं अपंग नहीं हूं.’

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जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेज प्रताप यादव को कृष्ण कन्हैया कहकर पुकारा तो लालू यादव क्या कहते है?

ऑफ द रिकार्ड बातचीत के क्रम में दोनों भाई एक दूसरे के खिलाफ ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं,  मानो दोनों बहुत पहले के  दुश्मन है। पिछले दिनों एक सरकारी समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेज प्रताप यादव को कृष्ण कन्हैया कहकर पुकारा था तो लालू के इस लाल ने अपने घनिष्ठ मित्रों से पूछा था ‘बताओ कभी पीएम ने हमारे छोटका को ऐसा भाव दिया है?’  इस लेखक से भी तेज प्रताप यादव ने कई बार कहा है, कि ‘ राजतिलक तो मेरा ही होगा’

जो लालू नहीं चाहते थे? वही हुआ :

27 अगस्त की ‘भाजपा भगाओ, देश बचाओ’ रैली की सफलता ने लालू प्रसाद को प्रसन्न होने का मौका तो दिया। परंतु उन्हीं के स्टाइल में तेज प्रताप यादव द्वारा दिया गया भाषण लालू प्रसाद के खुशी पर पानी फेरने का काम किया है।  सभा में शंख बजाकर तेज प्रताप यादव ने अपने समाज से आने वाले श्रोताओं का दिल जीत लिया। मिथिलांचल से आने वाले एक आरजेडी विधायक ने कहा- ‘हमारा नेता यही हो सकता है।

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लालू प्रसाद नहीं चाहते थे, कि तेज प्रताप यादव सभा को संबोधित करे। बोलने वाले नेताओं के लिस्ट में उनका नाम भी नहीं था। लेकिन पूर्व सेहत मंत्री ने लालू प्रसाद की इच्छा को ठेंगा दिखाते हुए माइक को हाथ में लिया और अपने अंदाज में सीएम नीतीश कुमार को भरपूर ‘सोहर’ सुनाया. ‘नीतीश कुमार को गाली देकर तेज प्रताप यादव ने हम लोगों का दिल जीत लिया.’ ये प्रतिक्रिया है रोहतास जिले के एक आरजेडी कार्यकर्ता की।

लालू की खासियत की वो गन्दी  भाषा का प्रयोग करते :

दरअसल, चौबीस घंटे जाति की सोच रखने वाले लोगों की चाहत होती है,  कि उनका नेता आक्रामक प्रवृति का हो। उनकी निगाह में उनका असली नायक वही है, जो चिह्नित दुश्मन के खिलाफ देहात में प्रयोग होने वाले सारे मांसाहारी गालियों का प्रयोग करे।

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देखी हुई बात है,  कि लालू प्रसाद भी कुछ कुछ ऐसा ही करके एक जमात का हीरो बने।  मुसलमानों को खुश करने के लिए आरएसएस के खिलाफ गन्दी  भाषा का प्रयोग किया। इसी नुख्से का प्रयोग करके आनंद मोहन सिंह भी कुछ समय के लिए नब्बे के दशक में राजपूतों के नेता बने थे।

लालू प्रसाद चाहते हैं,  सभाओं में शिरकत करे तेजस्वी प्रसाद यादव :

अगस्त 27 के बाद बिहार भर से लालू प्रसाद को अपने विश्वसनीय लोगों से जो फीडबैक मिल रहा है।  उससे आरजेडी सुप्रीमो काफी परेशान हैं।  वो समझ गए हैं,  कि जमात के बीच तेज प्रताप यादव पवन गति से पॉपुलर हो रहा है।लालू प्रसाद चाहते हैं,  कि तेजस्वी यादव राज्य भर में होने वाली उनकी सभाओं में शिरकत करे।  लेकिन ‘अनुशासित’ बड़ा बेटा भी बिन बुलाए मेहमान की तरह टपक कर सारा मजा किरकिरा कर दे रहा है।

सृजन घोटाले के खिलाफ हाल में भागलपुर में आयोजित आरजेडी के जलसे में लालू प्रसाद ने तेजस्वी प्रसाद यादव को अगला सीएम बनाने की बात मंच से की तो बड़ा बेटा बुरा मान गया।  जिसका इजहार उसने पटना लौटकर किया। कहते हैं, कि तेज प्रताप यादव ने पिता से कह दिया है,  कि- ‘मैं कृष्ण हूं और द्वारिका का राजा मैं ही बनूंगा.’

लालू यादव के साथ बिलकुल यही घटित हो रहा है , भोजपुरी में एक प्रचलित कहावत है, “जब घर के झमेला या चक्कर में पड़ जाला आदमी त सारा बेद शास्त्र भुला जाला आदमी”

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