अपने बच्चों के साथ बिताएं समय:
आज के माहौल में अपने बच्चे को सुरक्षित रखना सभी पेरेंट्स के लिए महत्वपूर्ण है। बाल यौन शोषण कितनी बड़ी समस्या है, इसका अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि हर 4 में से 1 लड़की और हर 6 में से 1 लड़के के साथ बचपन में यौन शोषण होता है।
अगर आप अपने बच्चो को यौन शोषण की घटनाओं से बचाना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको अपने बच्चों के जिंदगी में दिलचस्पी लेना शुरू करना पड़ेगा।बच्चों के साथ समय बिताना, उनके साथ बातें करनी शुरू करें। तब वह आप के साथ बड़ों की उन हरकतों को भी शेयर करेंगे जो उन्हें पसंद नहीं।
सोशल सिक्योरिटी नेटवर्क आपके बच्चे को यौन शोषण से बचाएगा:
उन्हें सिखाएं कि यदि कोई बच्चे को उसकी इच्छा के बिना या गलत तरीके से छूता है या उनके प्राइवेट पार्ट को देखने के लिए कहता है, तो इसके बारे में वह उन पांचों लोगों को बताएं। यह सोशल सिक्योरिटी नेटवर्क आपके बच्चे को यौन शोषण होने से बचाएगा।
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अगर उनकी बातों से आपको लगे की उनके साथ यौन शोषण हो रहा है तो न ही नाराज हों और न ही ऐस बर्ताव अपनाएं की बच्चे डर जाएँ। शांति बनाये रखें और बच्चे को बताएं की उसे अब चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है और आप अपने बच्चे को हर स्थिति से बचा सकते हैं।
शरीर के विभिन अंगों के बारे में बताएं:
बच्चों को उनके शरीर के विभिन अंगों के बारे में अवगत कराएं। आप के बच्चे को उसके शरीर के हर अंग के नाम पता होने चाहिए। बच्चे को बताएं की कौन-कौन से अंग ऐसे हैं जिन्हे हमेशा कपड़ों से ढका होना चाहिए।
उन्हें यह भी बताये की इन अंगों को कोई नहीं छुएगा। और अगर कोई छूता है तो यह गलत है और इसके बारे में माँ-बाप को बताना चाहिए। अपने बच्चों को यह भी बताये की किस-किस तरह से कोई उन्हें पकड़ सकता है और किस-किस तरह से पकड़ना सहज नहीं है।
बच्चों को यह भी बताएं की अगर कोई उनके साथ ऐसे-वैसी हरकत करता है तो इसमें बच्चे की कोई गलती नहीं है। बच्चे को कोई नहीं डांटेगें। अच्छे बच्चे ऐसे होते हैं जो अपने माँ-बाप को बताते हैं। इसमें छुपाने जैसी कोई बात नहीं और अगर उनके साथ कोई ऐसा करता है तो उन्हें तुरंत माँ-बाप ये बड़ों की मदद लेनी चाहिए।
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इन सभी बातों से अवगत कराएं:
अगर वो किसी से मिलने में असहज महसूस करते हों तो उन पर उस व्यक्ति से मिलने के लिए दबाव न बनाएं, भले ही वो आपके कितने ही निकट सम्बन्धी हों।
अगर बच्चे का किसी से बहुत अधिक लगाव हो रहा हो तो इस पर ध्यान दें।
अगर बच्चा अचानक बहुत शांत हो जाये तो उससे धैर्य के साथ ज़रूर सवाल पूछें।
वो किस तरह की किताबें पढ़ रहे हैं, किस तरह के प्रोग्राम टीवी पर देख रहे हैं, इसकी जानकारी रखें।
अगर बच्चा किसी की शिकायत करता है, तो उसे गंभीरता से लें और सही कदम उठाएं।
बच्चे को अपनी गैर मौजूदगी में किसी भी व्यक्ति की गोद में बैठने से मना करें।
बच्चों को अच्छे टच और बुरे टच में अंतर करना सिखाएं।
बच्चे जब भी बाहर खेलने जायें, आपको पता होना चाहिए कि वो कौनसे खेल खेल रहे हैं और उनमें उन्हें क्या करना होता है।
उन्हें खुद ही इसके बारे में शिक्षित करें. आप नहीं सिखायेंगे तो कोई और उन्हें ग़लत भी सिखा सकता है।
बच्चे को आपसे सभी बातें शेयर करने के लिए कहें, उसके दोस्त बन कर रहें, ताकि ऐसा कुछ होने पर वो आपको बताने से झिझके नहीं।