हमारे जीवन में रिश्तों का होना बहुत जरूरी है। जन्म लेते ही हम रिश्तों की डोर में बंध जाते हैं I माँ-बाप, भाई-बहन, दादा-दादी, नाना-नानी, आदि जैसे अनेक रिश्तों में बंध जाते हैं। इन सब रिश्तों से परिवार का निर्माण होता है। कई परिवार से समाज और समाज से देश तक का रिश्ता जुड़ जाता है। क्योंकि अकेले इन्सान का जीवित रहना भी संभव नही है।
माँ-बाप ईश्वर का रूप :
जीवन का सफर माँ-बाप के आशिर्वाद के बिना संभव नही है। यह एक ऐसा रिश्ता है जो हमेशा आपके साथ रहता है। सुख-दुःख हर समय आपका साथ देता है। कोई भी रिश्ता माँ-बाप से बड़ा नही होता।
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अगर धरती पर ईश्वर हैं तो वो माँ-बाप ही है। हमारे भारतीय संस्कृति में हमेशा माँ-बाप को ईश्वर का रूप माना जाता है। जो लोग उन्हें कष्ट देते हैं वो कभी भी सुखी नही रहते और जब कभी खुद कष्ट में होते हैं तब भी माँ-बाप ही सबसे आगे आते हैं उनकी मदद के लिए।
भाई-बहन का प्यारा रिश्ता :
भाई-बहन के रिश्तों को एक पवित्र रिश्ता माना जाता है। भाई-बहन के रिश्तों से, हिम्मत मिलती है कुछ करने की। भाई-बहन का त्यौहार रक्षा बंधन सभी धर्मों के लोग मानते है। भाई अपने बहन की रक्षा का वायदा करता है।
बहन को देखो घर में माँ के साथ काम करना, पिता जी का ध्यान रखना, भाई का ध्यान रखना साथ ही साथ खुद की शिक्षा का भी ध्यान रखना। यह एक ऐसा रिश्ता है जिसमे माँ-बाप दादा-दादी, दोस्त आदि सब रिश्ते होते हैं I
पति-पत्नी के पवित्र रिश्ते की डोर :
पति-पत्नी का रिश्ता परिवार की मधुरता का आधार होता है। इसकी मधुरता और खटास दोनों का प्रभाव बच्चों पर पड़ता है। कई बार आपसी रिश्ते जरा सी बात पर बिगड़ जातें है।
इसकी वजह क्रोध है। पति-पत्नी के रिश्तों में क्रोध नहीं होना चाहिए। भारतीय संस्कृति में पति-पत्नी का रिश्ता सात जन्म का माना जाता है। यह तब ही संभव है जब रिश्तों में गलत फहमी न हो, दोनों में विश्वास का होना जरुरी है।