यदि आप जानना चाहती हैं कि कब आपको लेबर पेन हो सकती है, तो कुछ शारीरिक समस्याओं या गतिविधियों से पहचान सकती हैं। ये शारीरिक गतिविधियां प्रसव का संकेत हो सकती हैं। यदि आपके भी प्रेग्नेंसी का आखिरी समय चल रहा है, तो इस बात का अंदाजा आप इन लक्षणों या संकेतों से जान सकती हैं कि आपकी डिलीवरी अब दूर नहीं है।
- आपका बच्चा पेट से काफी ज्यादा नीचे आ गया है और बार-बार यह लगने लगे कि अगर आप खड़ी हुईं या चलीं तो वो बाहर आ सकता है या गिर सकता है।ऐसे में काफी सारी महिलाओं को पीठ में भी दर्द होता है। जल्दी से हॉस्पिटल जाकर अपनी डॉक्टर से मिलें।
- लेबर शुरू होने पर आपको मल त्याग करने की जरूरत लग सकती है। इस समय आपको लेबर पेन भी शुरू हो रहा होता है, इसलिए आप इन दोनों के बीच के दर्द को समझ नहीं पाती हैं।
- आपको बार-बार पेशाब लगेगा और वो इसलिए क्योंकि जब बच्चा पेंडू पर दबाव डालता है, तो इससे ब्लैडर पर भी असर पड़ता है। आपको कुछ ही देर में ही पेशाब करने की इच्छा होगी।
- अगर आपको योनि से अधिक स्राव होना शुरू हो गया है तो आप समझ लें कि आपकी डिलीवरी किसी भी समय हो सकती है। योनि से निकलने वाला स्त्राव अंडे के उजले भाग की तरह या फिर हल्के गुलाबी रंग का हो सकता है।
- जब आपका बच्चा नीचे आ जाता है, तो आपके पेट की शेप बदल जाती है। इसका असर आपको पेट के निचले हिस्से में देखने को मिलेगा। इन बदलावों को देखते हुए आप समझ पाएंगी कि आपका बच्चा दुनिया में आने वाला है।
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कैसे पता लगाएं ब्रेक्सटन हिक्स है या लेबर पेन:
ब्रेक्सटन हिक्स
- ये लंबे समय तक नहीं रहते, आमतौर पर एक मिनट से कम ही रहते हैं।
- ये कभी-कभी होते हैं और आमतौर पर एक घंटे में एक या दो बार से ज्यादा नहीं होते, यानि में दिन में कुछ बार ही होते हैं।
- यदि आप बैठी हों, तो चलने-फिरने लगे और यदि कुछ समय से चल-फिर रही थीं तो अब बैठ जाएं।
- ये आमतौर पर अनियमित होते हैं, या अगर ये नियमित हों तो केवल कुछ ही समय के लिए नियमित रहते हैं।
- इनकी प्रबलता बढ़ती नहीं है
- पेट में सामने की तरफ महसूस होते हैं।
लेबर पेन:
- ये स्पष्ट महसूस होते हैं और हर सकुंचन के साथ धीरे-धीरे लंबे होते जाते हैं। अक्सर बढ़ते हुए ये पहले जहां 30 मिनट में महसूस हो रहे होते हैं वहां हर एक मिनट में महसूस होने लगते हैं।
- ये ज्यादा नियमित होते हैं। बार-बार महसूस हो सकते हैं।
- हर संकुचन के साथ दर्द बढ़ता जाता है। इनकी प्रबलता बढ़ती जाती है।
- आराम करने या सोने पर भी ये जारी रहते हैं।
- ये शायद पीठ से शुरू होंगे और सामने की तरफ आएंगे या ये दर्द जांघों तक भी पहुंच सकता है।
यदि आपके साथ यह सब हो रहा है, तो आपका प्रसव शायद शुरु हो गया है। ऐसे में आप अपने घरवालों को बताएं ताकि समय रहते अस्पताल पहुँचाया जाए।
सी सेक्शन डिलीवरी किन हालात में करवानी पड़ती है,सबसे पहले जानते हैं इसके कुछ कारण।
- बच्चा अगर अंदर ही मल का निकास कर लेता है तब, तुरंत सिजेरियन करना पड़ता है।
- लेबर पेन के दौरान बच्चे की पोजीशन उलट जाती है तब डॉक्टर को सिजेरियन करना पड़ता है।
- लेबर के दौरान अगर बच्चे को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती तो आपातकालीन सिजेरियन के माध्यम से प्रसव का विकल्प चुनना पड़ता है।
- सिजेरियन डिलीवरी का एक कारण सैफेलोपेल्विक अनुपात भी है। अर्थात जब बच्चे का सिर मां की योनि से प्रसव कराने में असमर्थ होता है। तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर या तो वैक्यूम डिलीवरी का सहारा लेते हैं या फिर सी सेक्शन का।
- सिजेरियन डिलीवरी का एक महत्वपूर्ण कारण प्लेसेंटा भी है। जब प्लेसेंटा में पानी का लेवल कम होता है जिसकी वजह से बच्चे को पर्याप्त पोषक तत्व और ऑक्सीजन नहीं मिल पाती तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर मां को सिजेरियन डिलीवरी कराने की सलाह देता है।
- कई बार मां 1 से ज्यादा बच्चों को जन्म देती है तो लेबर के अत्याधिक श्रम के बाद भी जब वह प्रसव कराने में असमर्थ होती है। तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर सिजेरियन की सलाह देते हैं।
- लेबर के दौरान जब मां का ब्लड प्रेशर अत्यधिक बढ़ता है। तो इस वजह से बच्चे की हृदय की धड़कन भी बढ़ने लगती है। अगर यह स्थिति कंट्रोल में नहीं आती तो ऐसी स्थिति में तुरंत सिजेरियन करना पड़ता है।
इन सभी कारणों के अलावा सिजेरियन का एक महत्वपूर्ण कारण है मां की स्वास्थ्य स्थिति। अगर प्रेग्नेंट महिला हृदय रोग, उच्च रक्तचाप या गर्भकालीन मधुमेह से पीड़ित होती है तो ऐसी स्थिति में महिला सिजेरियन के माध्यम से प्रसव करा सकती है। इन स्थितियों में से किसी एक के साथ भी योनि प्रसव करना मां के लिए खतरनाक हो सकता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर ही महिला को सिजेरियन कराने की सलाह देते हैं।