फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के बयान के बाद से भारत की राजनीति में भूचाल आ गया है। फ्रांस्वा ओलांद ने कहा था की भारत सरकार ने ही अनिल अंबानी के रिलायंस का नाम दिया जिस बात से भारत सरकार अब तक मना करती आई है।
भारतीय ख़रीद प्रक्रिया के अनुसार फ़्रांसीसी कंपनी को पूरी छूट है कि वो जिस भी भारतीय साझेदार कंपनी को उपयुक्त समझे उसे चुने। फिर उन ऑफ़सेट प्रोजेक्ट की मंजूरी के लिए भारत सरकार के पास भेजे, जिसे वो भारत में अपने स्थानीय साझेदारों के साथ अमल में लाना चाहते हैं. ताकि वे इस समझौते की शर्तें पूरी कर सके।
यह भी पढ़े: अंतरराष्ट्रीय कबड्डी टूर्नामेंट : भारत के साथ पाकिस्तान का पहला मुकाबला…….
राफेल डील को लेकर फ्रांस्वा ओलांद के ख़ुलासे के बाद इस मामले पर फ्रांस ने बयान दिया है. कहा कि फ्रांस सरकार किसी भी तरह भारतीय साझेदार के चुनाव में शामिल नहीं है। भारत सरकार के नाम सुझाने के बाद ही दसॉल्ट एविएशन ने अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस से बात शुरू की। अप्रैल 2015 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस की यात्रा पर गए थे तब फ्रांस्वा ओलांद ही राष्ट्रपति थे। उन्हीं के साथ राफेल विमान का करार हुआ था। ‘मीडियापार्ट फ्रांस’ नाम के अख़बार ने पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद से पूछा कि रिलायंस को किसने चुना और क्यों चुना गया, तो फ्रांस्वा ओलांद ने कहा कि भारत की सरकार ने ही रिलायंस को प्रस्तावित किया था।
कांग्रेस पार्टी और आम आदमी पार्टी फ्रांस्वा ओलांद के इस बयान पर मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा है। राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने देश के साथ विश्वासघात किया है, तो वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री जी को सच बोलने के लिए कहा।
यह भी पढ़े: इटली के नए प्रधानमंत्री से मिलीं सुषमा स्वराज, भारत के कूटनीतिक संबंधों पर हुई बातचीत