होली रंगो का त्योहार :
हर त्यौहार का अपना अलग रुप और रंग है। जिसे बड़े ही भाव के साथ हम भारतीय आनंद और उल्लास के साथ मनाते हैं। लेकिन हरे, पीले, लाल, गुलाबी जैसे सप्तरंगों का भी एक त्यौहार सिर्फ देश ही नहीं पूरी दुनिया में जहां कहीं भी हिंदू धर्म के मानने वाले रहते हैं उसे मनाते हैं…वो रंगो का त्योहार है।
ये भी पढ़ें : ऐसे मनाये होली : त्वचा के लिए ध्यान रखें ये खास बातें
होली जो ना सिर्फ रंगों का त्योहार है बल्कि भारतीय संस्कृति के रंग में रंगकर सारी भिन्नताएं भी मिटा देता है और सब बस एक ही रंग में रंग जाते हैं और वो रंग बन जाता है एकता का,सद्भाव का,सामंजस्य का,प्रेम का…।
हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार :
दरअसल हमारे हिन्दू धर्म ग्रंथो में लिखा है कि इस दिन स्वयं को ही भगवान मान बैठे हिरण्यकश्यपु ने भगवान की भक्ति में लीन अपने ही पुत्र प्रह्लाद को अपनी बहन होलिका के जरिये जिंदा जला देना का प्रयास किया था, लेकिन भगवान ने भक्त पर अपनी कृपा की और प्रह्लाद के लिये बनाई चिता में स्वयं होलिका जो कि हिरण्यकश्यपु की बहन थी वही भस्म हो गई।
ये भी पढ़े : होली के रंग से बालों को बचाने के लिए करें ये तैयारी
इसलिये इस दिन होलिका दहन की परंपरा हमारे हिन्दू धर्म से सदियों से चली आ रही है ।वहीं होलिका दहन से अगले दिन रंगों से होली खेली जाता है। यहां पर ये जानना भी जरुरी है कि सूर्यास्त के बाद पूर्णिमा तिथि में ही होलिका दहन करना चाहिए।
होलिका दहन और पूजा का शुभ मुहूर्त :
होली 1 मार्च 2018 (होलिका दहन)
होलिका दहन मुहूर्त- 18:16 से 20:47
भद्रा पूंछ- 15:54 से 16:58
भद्रा मुख- 16:58 से 18:45
2 मार्च-(होली)
पूर्णिमा तिथि आरंभ- 08:57 (1 मार्च)
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 06:21 (2 मार्च)