सीरिया और इराक में सक्रिय आतंकवादी संगठन ISIS पूरी दुनिया के लिए बड़े खतरे के रूप में उभरा है। हाल के पेरिस हमलों में भी इसका ही हाथ था। इसके खौफनाक इरादों पर यदि समय रहते दुनिया नहीं चेती तो इंसानियत के दुश्मन इस संगठन की ताकत और बढ़ जाएगी। दुर्भाग्य से इसके खिलाफ लड़ाई को लेकर अमेरिका और रूस में मतभेद हैं।
कितना जानते हैं आप ISIS के बारे मे
इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड सीरिया को इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड दी लीवेंट भी कहते हैं। यह एक जिहादी संगठन है, जो कि इराक और सीरिया में इस्लाम के नाम पर हिंसा फैलाता है। पिछले दिनों हुए पेरिस हमले में भी इसी संगठन का हाथ था। अल कायदा से अलग हुए इस संगठन की स्थापना अप्रैल 2013 में हुई थी।
इराक में अबू मुसाब अल-जरकावी के नेतृ्त्व में लादेन का आतंकवादी संगठन अल-कायदा काफी सक्रिय था। जरकावी ने इराक में बहुसंख्यक शियाओं के खिलाफ युद्ध भड़काने की भी कोशिश की। 2006 में इराकी अल-कायदा ने खुद को द इस्लामिक स्टेट इन इराक यानी आईएसआई कहना शुरू कर दिया था, लेकिन अप्रैल 2013 में सीरिया में गतिविधियां बढ़ने के बाद इसके साथ ‘एंड सीरिया’ भी जुड़ गया। यानी संगठन का नाम हो गया आईएसआईएस या आईएस।
इब्राहिम अव्वद अल-बद्री उर्फ अबू बकर अल-बगदादी आईएसआईएस का मुखिया है। 29 जून 2014 को इस संगठन ने अपने मुखिया को पूरी दुनिया का खलीफा घोषित कर दिया। बगदादी कभी भी अपनी पहचान जाहिर नहीं करता। यहां तक कि अपने कमांडरों से बात करते समय भी वह मास्क पहनता है। इराक के समारा शहर में 1971 में जन्मा अल बगदादी इस्लामिक स्टडीज में डॉक्टरेट है। यह अपने शहर में धार्मिक कार्यकर्ता रह चुका है।
ISIS दुनिया का सबसे अमीर आतंकी संगठन है, जिसका सालाना बजट करीब 220 अरब डॉलर का है। एक जानकारी के मुताबिक आईएसआईएस की वर्तमान में कुल संपत्ति 14 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है।
ISIS की आय का मुख्य स्रोत तेल की तस्करी, लूटपाट और अवैध वसूली है। यह संगठन अपहरण कर फिरौती वसूलने से लेकर पुरा सम्पदा को बेचकर पैसा भी बनाता है। कई बैंकों की लूटपाट में भी इसका हाथ रहा है। इसने न केवल अमूल्य पुरातात्विक संपदा को नष्ट किया है वरन ऐतिहासिक धरोहरों के तौर पर सुरक्षित रखे गए 3500 वर्ष पुराने नगर निमरूद और सीरियाई शहर पालमायरा को भी बारूदी सुरंगों से उड़ा दिया।
ISIS के लड़ाकों की संख्या 40 हजार के लगभग बताई जाती है। इसमें फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन समेत बड़ी तादाद में विदेशी लड़ाके भी शामिल हैं। ISIS में भारत के भी 23 लोग शामिल बताए जाते हैं। इनमें से 6 की मौत हो चुकी है, जो कि उत्तरप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना से हैं। हालांकि दक्षिण एशियाई, दक्षिण अफ्रीकी लड़ाकों को अरबी लड़ाकों की तुलना में कमतर माना जाता है, जिन्हें वेतन भी कम मिलता है। इन्हें जिहादी दुल्हनें भी नहीं मिलतीं, जो कि इस संगठन से जुड़ने की अहम वजह बताई जाती है।
आईएसआईएस अपने लड़ाकों को 400 डॉलर प्रतिमाह तक का वेतन देता है। बीच में यह भी खबर थी कि संगठन ने अपने लड़ाकों का वेतन घटा दिया था, जिससे 200 से ज्यादा लड़ाके संगठन छोड़कर भाग गए थे। हालांकि संगठन छोड़कर भागना उतना आसान नहीं होता क्योंकि संगठन से जुड़ने वालों का पासपोर्ट जला दिया जाता है। उन्हें जिन्न के नाम से डराया भी जाता है।
आईएसआईएस पहला ऐसा आतंकवादी संगठन है जो दुनिया भर के मुस्लिम युवाओं को खुद से जोड़ने के लिए टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया का उपयोग करता है। दुनिया में दहशत फैलाने के लिए यह संगठन सोशल मीडिया पर नरसंहार के फोटो और वीडियो भी अपलोड करता है।
पेरिस में हुए आतंकी हमलों के बाद भारत पर भी आतंकी संगठन ISIS का खतरा मंडराता नजर आ रहा है। पिछले दिनों सरकार की ओर से भी एक एडवाइजरी जारी की गई थी। इसमें जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और असम को अलर्ट रहने को कहा गया था। गृहमंत्री राजनाथसिंह ने भी कहा था कि भारत सहित पूरी दुनिया को आईएसआईएस से खतरा है। भारत में इस संगठन के लिए लश्कर ए तैयबा, हिज्बुल मुजाहिदीन, इंडियन मुजाहिदीन और इनके स्लीपर सेल मददगार साबित हो सकते हैं।
पेरिस हमलों के बाद अमेरिका और फ्रांस ने सीरिया में आईएस के ठिकानों पर हमले तेज कर दिए। इसी बीच, रूस ने भी आईएस के खिलाफ हवाई हमले किए। रूस को सीरियाई शासक बशर अल असद का समर्थक माना जाता है, जबकि अमेरिका को असद विरोध गुट का। इसने चलते दोनों महाशक्तियों के बीच मनमुटाव भी सामने आया।
यह कुख्यात आतंकवादी संगठन दुनिया में कट्टर सुन्नी इस्लामी राज्य की स्थापना की मंशा रखता है। इसकी मौजूदगी सीरिया भूमध्यसागरीय समुद्री तट से लेकर बगदाद के दक्षिण तक है। आईएसआईएस पूरे मिडिल ईस्ट और उत्तरी अफ्रीका के कुछ हिस्सों पर अपना प्रभुत्व जमाना चाहता है। कुछ समय पहले इस संगठन ने एक इस्लामिक वर्चस्व वाली दुनिया का नक्शा भी जारी किया था। इसमें भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान वाले हिस्से को उसने खुरासान के नाम से चिन्हित किया है।
Source-Webduniya.com