गाजियाबाद की दीप्ति की अपहरण की गुत्थी को सुलझाते हुए आज गाजियाबाद पुलिस ने जो कहानी बताई वो किसी भी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। गाजियाबाद पुलिस के एसएसपी धर्मेंद्र सिंह ने इसे एक साइको थ्रिलर करार दिया है।उन्होंने बताया कि यह एकतरफा आकर्षण की कहानी है। आरोपी का नाम देवेंद्र है जो कामी गांव सोनीपत का रहने वाला है। जब दीप्ति को पहली बार उसने देखा था तब वो नौकरी नहीं करती थी, एमटेक की पढ़ाई कर रही थी। उस दिन दीप्ति अपने दोस्त के साथ राजीव चौक मेट्रो स्टेशन पर थी और देवेंद्र को दीप्ति को देखते ही उससे प्यार हो गया था।
देवेंद्र तब से ही दीप्ति का पीछा करने लगा था। दीप्ति का ही पीछा करने के लिए उसने सबसे पहले दो ऑटो खरीदे और अपने दोस्त प्रदीप के साथ गाजियाबाद में ऑटो चलाने लगा।
देवेंद्र ने कभी किसी पर ये जाहिर नहीं होने दिया कि वो किस इरादे से ऑटो चला रहा है। उसने प्रदीप को भी यही कहा था कि चलो ऑटो चलाएंगे पैसे कमाएंगे। लेकिन देवेंद्र का इरादा ही कुछ और था।जब वो दीप्ति के बारे में काफी कुछ जान गया और उसके दोस्त के बारे में भी जान गया तब उसने अपना प्लान अमल में लाना शुरू किया। देवेंद्र ने अपने दोस्तों को एक कहानी बताई और कहा कि दीप्ति हवाला का काम करती है और अगर हम इसे उठा लें तो हर एक के हिस्से में एक से डेढ़ करोड़ रुपए आएंगे।देवेंद्र ने दीप्ति को अगवा करने की अपनी मंशा अपने किसी भी दोस्त पर जाहिर नहीं की। वो काफी दिन से सोच रहा ता कि वो दीप्ति उसके ऑटो में बैठे लेकिन दीप्ति उसी ऑटो में बैठती थी जिसमें एक-दो लड़कियां पहले से बैठी हों। और देवेंद्र यही बात नहीं चाहता था।
जिस दिन देवेंद्र ने दीप्ति को अगवा किया उस दिन उसने अपने दोस्तों के साथ ये प्लान किया कि दीप्ति जिस ऑटो में बैठेगी उसके आगे वो खड़ंजा (कीलनुमा चीज) लगा देंगे जिससे वो ऑटो पंचर हो जाए और दीप्ति देवेंद्र के ऑटो में बैठ जाए।उन्होंने ठीक अपने प्लान के अनुसार काम किया 10 फरवरी को दीप्ति आई वो देवेंद्र के दोस्त प्रदीप के ऑटो में बैठी उसमें पहले से ही देवेंद्र के साथी माजिद और फहीम बैठे थे।
ऑटो चली और उनके द्वारा रखे खड़ंजे पर चढ़ गई जिससे प्रदीप की ऑटो खराब हो गई।दीप्ति उतरकर आगे देवेंद्र की ऑटो खड़ी थी उसमें बैठ गई। उसके साथ वो लड़की भी उसमें बैठी जिसे बाद में चाकू की नोंक पर उन लोगों ने उतार दिया था। इसके साथ ही देवेंद्र ने अपने प्लान के फेल होने पर क्या करना है वो भी सोच रखा था उसने एक स्विफ्ट कार रखी थी जिससे बाद में भाग जा सके।लेकिन गलती से वो स्विफ्ट कार भी उस खड़ंजे पर चढ़ गई जो ऑटो को पंचर करने के लिए रखा गया था जिससे कार पंचर हो गई। और मोहित जो उसमें सवार था कार में ही रह गया।
बाद में देवेंद्र दीप्ति को लेकर चलने लगा और उस दूसरी लड़की को उतार दिया। उस लड़की के उतारे जाने से दीप्ति बहुत घबरा गई तो देवेंद्र और उसके साथियों ने चाकू दिखाते हुए कहा कि चुपचाप चलो किसी से मिलाना है हम तुम्हें कुछ नहीं करेंगे।उन लोगों ने उसकी आंखों पर पट्टी बांधी और उसी के मफलर को मुंह में ठूंस दिया। जब वो प्रेसिडियम स्कूल तक पहुंचे वहीं उनका ऑटो बंद हो गया। उन्हें कोई न देखे इसलिए वो एक निर्माणाधीन बिल्डिंग में जाकर छिप गए। वहीं राजनगर एक्सटेंशन के पास उन्होंने दीप्ति का पर्स गाड़ दिया व फोन कूच कर वहीं फेंक दिया।
जब राहगीर वहां से चले गए तो देवेंद्र ने अपने भाई से आई 10 मंगाई और बाकी साथियों को ऑटो को ठीक कराने को कहकर दीप्ति को लेकर चला गया। वहां से निकलकर यमुना पार कर अपने गांव कामी पहुंचा जहां वो दिनभर रहा।अपने गांव में और पूरे समय वो दीप्ति के सामने अपने आप को एक हीरो की तरह पेश करता रहा और अपने दोस्तों को विलेन। वो बार-बार दीप्ति से कहता कि वो उसे कुछ नहीं होने देगा। और उसके दोस्त दीप्ति को मारना चाहते हैं पर उसे डरने की जरूरत नहीं है।