जिन शहरों को स्मार्ट सिटी में बदला जाएगा उनमें कुछ राज्यों की राजधानी को शामिल किया गया है जैसे लखनऊ, मुंबई, गांधीनगर, जयपुर, विजयवाड़ा, भुवनेश्वर, रायपुर और गुवाहाटी जबकि पटना, कोलकाता और बेंगलुरु जैसी राजधानियों को टॉप 100 नॉमिमेशन में जगह नहीं मिली है। दिल्ली समेत सभी केंद्र शासित प्रदेशों को नामित किया गया है।
कुछ कम मशहूर शहरों और नगरपालिका क्षेत्रों जैसे बिहार में बिहार शरीफ, उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद और सहारनपुर, हिमाचल में धर्मशाला, कर्नाटक में शिवमोगा को राज्यों द्वारा नामित किया गया है। शहरी विकास मंत्री के सूत्रों ने बताया कि कुछ बड़े शहरों को चयन की शर्तों को पूरा नहीं करने के कारण लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है।
शहरी विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘राज्यों को कुछ उद्देश्यों को ध्यान में रखकर चुना गया है। उन शहरों को चुना गया है जिनमें परियोजनाओं को बेहतर ढंग से क्रियान्वित करने और अपने संसाधन पैदा करने की क्षमता है। यह पारदर्शिता और उचित प्रतियोगिता की दिशा में एक कदम है जहां कोई भी चयन प्रक्रिया को प्रभावित नहीं कर सकता है।’
यह भी पता चला है कि शहरी विकास मंत्रालय इस बात पर गौर कर रहा है कि क्या और भी शहरों को इस महत्वाकांक्षी योजना में शामिल किया जा सकता है ताकि ज्यादा से ज्यादा शहरों को लाभ मिल सके और नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार हो।
मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि प्रत्येक नगरपालिका क्षेत्र के मूल्यांकन के लिए शर्तों पर चर्चा की गई और राज्यों के परामर्श से इसे अंतिम रूप दिया गया। अधिकारियों ने बताया कि हालांकि परियोजना तभी सफल हो सकती है जब राज्य पूरा सहयोग करेंगे लेकिन केंद्र सरकार उन सभी नामों को मंजूरी देगी जो उनके द्वारा भेजे जाएंगे।
सूत्रों ने बताया कि जो शहर जेएनएनयूआरएम स्कीम के तहत कई बार समय विस्तार मिलने के बावजूद भी परियोजना को पूरा नहीं कर सके हैं, उनको इस मुकाबले से बाहर रखा गया है। उन शहरों के इस रवैये से पता चलता है कि परियोजना क्रियान्वयन में उनके शहरी निकाय असक्षम है।
स्कीम की गाइडलाइन्स के अनुसार, मकसद है उन शहरों को प्रमोट करना जो बेहतर आधारिक संरचना प्रदान कर सकें और अपने शहरों को गुणवत्तापूर्ण जीवन प्रदान कर सकें।