पंचांग के अनुसार इस साल तुलसी विवाह 5 नवंबर के दिन मनाया जाएगा। इस बार देवउठनी एकादशी 4 नवंबर और तुलसी विवाह 5 नवंबर के दिन किया जाएगा। शालीग्राम के साथ तुलसी जी का विवाह किया जाता है। इस दिन तुलसी विवाह कराने से कन्यादान के समान फल की प्राप्ति होती है।
तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त:
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 05 नवंबर को शाम 06 बजकर 08 मिनट से शुरू
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 06 नवंबर को शाम 05 बजकर 06 मिनट पर समाप्त
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने कहा कि कालांतर में शालिग्राम रूप से तुलसी का विवाह होगा। देवताओं ने वृंदा की मर्यादा और पवित्रता को बनाए रखने के लिए भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप का विवाह तुलसी से कराया। इसलिए प्रत्येक वर्ष कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि के दिन तुलसी विवाह कराया जाता है।
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तुलसी विवाह का महत्व:
हिंदू मान्यता के अनुसार तुलसी विवाह करने से कन्यादान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। इसलिए अगर किसी ने कन्या दान न किया हो तो उसे जीवन में एक बार तुलसी विवाह करके कन्या दान करने का पुण्य अवश्य प्राप्त करना चाहिए।
हिंदू धर्म में तुलसी का पूजन करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। साथ ही मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। तुलसी पूजा बेहद लाभकारी मानी गई है। मां तुलसी आपकी सच्ची भक्ति से प्रसन्न होकर अखंड सौभाग्य रहने का वरदान देते हैं।
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मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए तुलसी विवाह के पूजन के बाद तुलसी आरती और मंत्र जाप करने से ही पूर्ण फल की प्राप्ति होती है और मां प्रसन्न होकर सभी इच्छाएं पूर्ण करने का वरदान देती हैं।
तुलसी माता का स्तुति मंत्र:
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः,
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।
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