बॉम्बे हाईकोर्ट ने हिट एंड रन मामले में बॉलीवुड अभिनेता सलमान को बरी कर दिया है। फैसला सुनाने से पहले हाईकोर्ट ने सलमान को कोर्ट में हाजिर करने का निर्देश दिया था और उनके कोर्ट में हाजिर होते ही फैसला सुना दिया गया। सलमान डेढ बजे कोर्ट में पहुंचे और इसके छह मिनट बाद ही जज ने एक वाक्य में फैसला सुना दिया कि आपको बरी किया जाता है। कोर्ट ने कहा कि सलमान पर शराब पीने का आरोप साबित नहीं होता है। सलमान दोषी नहीं ठहराए जा सकते हैं। आरोप साबित करने में अभियोजन पक्ष नाकाम साबित हुआ है। पुलिस ने ठीक से जांच नहीं की है।
उठाए रवींद्र पाटिल की गवाही पर सवाल…
फैसला लिखने के दौरान ही हाईकोर्ट ने मामले के मुख्य गवाह मरहूम रवींद्र पाटिल की गवाही पर सवाल खडे किए हैं। कोर्ट ने रवींद्र पाटिल के बयान में कुछ खामियां बताई हैं। साथ ही हादसे के वक्त सलमान के साथ कार में मौजूद कमाल खान को कोर्ट में पेश नहीं करने पर सरकारी पक्ष से हैरानी भी जताई। तेरह साल (2002) पुराने इस मामले में इस साल मई में मुंबई की निचली अदालत ने सलमान खान को पांच साल की सजा सुनाई थी।
इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए सलमान खान ने सजा को रद्दा करने की याचिका दाखिल की थी। दोनों पक्षों की दलीलें खत्म होने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला लिखवाना शुरू किया और इसमें तीन दिन बीत गए। फैसला लिखने के दौरान हाईकोर्ट ने मामले के मुख्य गवाह मरहूम रवींद्र पाटिल की गवाही पर सवाल खडे किए और उनके बयान में कुछ खामियां बताईं। कोर्ट न पाटिलकी गवाही पर सवाल खडे करते हुए कहा कि इस मामले के मुख्य गवाह और बॉडीगार्ड रवींद्र पाटिल के बयान पर पुलिस ने रैश ड्राइविंग और लापरवाही से गाडी चलाने का मामला दर्ज किया था।
जस्टिस एआर जोशी ने बुधवार को इस मामले का फैसला लिखवाते वक्त टिप्पणी की कि पाटिल की गवाही इसलिए संदेह के घेरे में हैं, क्योंकि जब बाद में उनका बयान दर्ज किया गया, तो उसमें उन्होंने फेरबदल किया। हालांकि, सेशन कोर्ट ने पाटिल की गवाही को सही मानते हुए सलमान को पांच साल की सजा दी थी। जज ने कहा कि पाटिल की गवाही पर पूरी तरह यकीन नहीं किया जा सकता। घटना के कुछ घंटे बाद ही पाटिल ने बांद्रा पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई थी, लेकिन उसमें इसका जिक्र नहीं था कि सलमान नशे की हालत में कार चला रहे थे या नहीं।
जब 1 अक्टूबर, 2002 को पाटिल का बयान दर्ज किया गया, तो पाटिल ने कहा कि सलमान ने शराब पी रखी थी और तेज गाडी चलाने पर मैंने उन्हें चेतावनी भी दी थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने रवींद्र पाटिल की गवाही पर सवाल खडे करते हुए कहा कि इस मामले के मुख्य गवाह और बॉडीगार्ड रवींद्र पाटिल के बयान पर पुलिस ने रैश ड्राइविंग और लापरवाही से गाडी चलाने का मामला दर्ज किया था। रवींद्र पाटिल ने अपना बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराया था लेकिन जब सेशंस कोर्ट में मामला चला तब कोर्ट में बयान नहीं हुआ। इसके बाद रवींद्र पाटिल को पुलिस सेवा से निलंबित कर दिया गया। पाटिल की मौत कब हुई, यह भी पुलिस को पता तक नहीं चला।
बता दें कि हादसे की रात सलमान की गाडी मे रवींद्र पाटिल भी मौजूद था। सेशंस कोर्ट ने जब सलमान को सजा सुनाई तब रवींद्र पाटिल के बयान ने बडी भूमिका निभाई थी। इस केस में एक और गवाह थे- कमाल खान। कमाल खान का बयान रवींद्र पाटिल की गवाही पर मुहर लगा सकता था, लेकिन पुलिस ने कमाल खान को कोर्ट करने में रूचि नहीं दिखाई और अब इसका खामियाजा सरकारी पक्ष को भुगतना पड सकता है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले में सरकारी पक्ष की तरफ से कमाल खान को कोर्ट में पेश नहीं करने पर भी हैरानी जताई।
कोर्ट ने कहा कि कमाल खान ने विदेश जाने से पहले अपना मुंबई और यूके का पता दिया था, बावजूद इसके सरकारी पक्ष ने कमाल को पेश करने को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इतना ही नहीं, हाई कोर्ट ने सलमान के ड्राइवर अशोक सिंह के गुनाह कबूलने वाले बयान को नजरअंदाज करने पर भी हैरानी जताई। कोर्ट ने कहा कि 13 साल बाद ही सही, लेकिन अगर अशोक जुर्म कबूल रहा था तो उस पर विचार किया जाना चाहिए था। –