पुष्कर मेले में लोक नृत्य भजन मंडलियां भजन कीर्तन की प्रस्तुति :
पुष्कर मेले के शुभारंभ के अवसर पर सुबह आध्यात्मिक यात्रा निकाली गई। यात्रा में ऊंटों पर सजीव झांकियां सजाई गईं। ये झांकियां लोगों के आकर्षण का केंद्र रहीं। इसके अलावा श्रद्धालुओं के साथ राजस्थानी लोक कलाकार लोक नृत्य भजन मंडलियां भजन कीर्तन की प्रस्तुति देते हुए चल रहे थे।
श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला सोमवार से लगातार जारी है। यात्रा का विभिन्न संगठनों नगरवासियों की ओर से जगह-जगह पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया। यात्रा के दौरान शिक्षण संस्थाओं सामाजिक धार्मिक संगठनों की ओर से अलग-अलग झांकियां सजाई गईं।
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पुष्कर में चल रहे अंतरराष्ट्रीय मेले में पंचतीर्थ स्नान के साथ शुरू हुआ धार्मिक मेला आगामी 4 नवंबर कार्तिक पूर्णिमा के दिन महास्नान के साथ संपन्न होगा। प्रबोधिनी एकादशी के मौके पर इन पांच दिनों में श्रद्धालु पुष्कर सरोवर में डुबकी लगाकर पुण्योदय की कामना करते है। पंचतीर्थ स्नान के पहले दिन एकादशी के धार्मिक महत्व को देखते हुए सरोवर में सुबह 4 बजे से ही स्नान का सिलसिला शुरू हो जाता है।
पुष्कर मेला कितने चरणों में किया जाता है विभाजित?
इस मेले को तीन चरणों में विभाजित किया जाता है, जिसमें सबसे पहले पशु मेला शामिल है। दूसरे चरण में पर्यटन के लिहाज से सांस्कृतिक गतिविधियों का केन्द्र और तीसरा इसका आध्यात्मिक रुप जो सबको लुभाता है।
ब्रह्मा जी का पौराणिक मंदिर कहीं दूसरी जगह कम ही :
पुष्कर कहते हैं कि ब्रह्मा ने इस जगत की रचना की। विष्णु इस जगत का पालन करते हैं और महेश यानि भगवान शिव इस दुनिया का विनाश करते हैं।पुष्कर के उद्भव का वर्णन पद्मपुराण में मिलता है। माना जाता है कि ब्रह्मा जी ने यहां आकर यज्ञ किया था। धरती पर भगवान विष्णु और शिव के तो कई मंदिर हैं।
लेकिन ब्रह्मा जी के मंदिर इतने कम क्यों? पुष्कर जैसा ब्रह्मा जी का पौराणिक मंदिर कहीं दूसरी जगह कम ही देखने को मिलता है। ये एक ऐसी जगह है जहां धरती के लोग उस रचनाकार की पूजा करते हैं जिसकी वजह से इस दुनिया का अस्तित्व है।
पुष्कर मेले की कुछ खास बातें :
इन्टरनेशनल लेवल पर पुष्कर पशु मेला सबसे बड़ा है। यहां का आध्यात्मिक माहौल लोगों का बहुत पसन्द आता है।
रेगिस्तान के जहाज के नाम से प्रसिद्ध ऊंट जहां रेतीले धोरों में एक टांग पर दौड़ लगाकर पर्यटकों का मनोरंजन करते है।
देशी-विदेशी पर्यटकों के बीच फुटबॉल, बॉलीबाल, कबड्डी, सितोलिया जैसे पारम्परिक खेल प्रतिदिन आयोजित किए जाते है।
मेले में पशुओं की खरीद-फरोख्त होती है।
पर्यटक तीर्थराज पुष्कर सरोवर के घाटों पर।
अजमेर जिला कलेक्टर गौरव गोयल का कहना है कि इस वर्ष का मेला अब तक के मेलों से कई मामलों में भिन्न है। इस बार पर्यटक भी काफी संख्या में आए है। मेले से जुड़े लोगों का कहना है कि फ्रांस, इटली, अमेरिका, दुबई, नीदरलैंड सहित कई देशों से विदेशी पर्यटक मेले में पहुंच रहे हैं। मेला 4 नवम्बर तक चलेगा।