देश भर में 18 अक्टूबर को महान क्षत्रिय सम्राट मिहिर भोज की जयंती बड़े ही धूम धाम से मनाई जाएगी, जिसकी तैयारियां युद्ध स्तर पर की जा रही हैं| पूरा क्षत्रिय समाज , सनातन धर्म रक्षक महान राजपूत सम्राट मिहिरभोज परिहार की जयंती की तैयारियों में जुटा हुआ है, देश मे करीब 10 राज्यों के 150 जिलों में मिहीरभोज जयंती मनाने की तैयारी चल रही है. जिसमे, दिल्ली – जयपुर – जोधपुर – हिमाचल प्रदेश – लखनऊ – सहारनपुर – मेरठ – करनाल – बड़ौदा – इंदौर – आदि शहरों में विशाल कार्यक्रम होने तय हैं….
सम्राट मिहिरभोज प्रतिहार राजपूत वंश के महान राजा थे , जिन्होंने कंन्नौज राज्य में 50 वर्षो तक विशाल भू भाग पर राज्य किया था, लेकिन इतिहास की किताबों ने इन्हें वो सम्मान नही दिया, जिसके वो हकदार थे, इसलिये राजपुत समाज इस बार पूरे देश मे जयंती कार्यक्रम करके ,अपने महान पूर्वज को याद करेंगे, व उनकी गौरब गाथा , पूरे देश मे फैलाएंगे|
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साम्राज्य-
प्रतिहार राजपूत साम्राज्य ने अपने शुरूआती शासनकाल मे ही पूरी दूनिया को अपनी ताकत से हिला दिया था। इनका शासनकाल 6ठी शताब्दी से 10वी शताब्दी तक रहा। प्रतिहारों ने अरबों से 300 वर्ष तक लगभग 200 से ज्यादा युद्ध किये जिसका परिणाम है कि हम आज यहां सुरक्षित है। प्रतिहारों ने अपने वीरता, शौर्य , कला का प्रदर्शन कर सभी को आश्चर्यचकित किया है। भारत देश हमेशा ही प्रतिहारो का रिणी रहेगा उनके अदभुत शौर्य और पराक्रम का जो उनहोंने अपनी मातृभूमि के लिए न्यौछावर किया है। जिसे सभी विद्वानों ने भी माना है। प्रतिहार साम्राज्य ने दस्युओं, डकैतों, अरबों, हूणों, कुषाणों, खजरों, इराकी,मंगोलो,तुर्कों, से देश को बचाए रखा और देश की स्वतंत्रता पर आँच नहीं आई।
इनका राजशाही निशान वराह है। ठीक उसी समय मुश्लिम धर्म का जन्म हुआ और इनके प्रतिरोध के कारण ही उन्हे हिंदुश्तान मे अपना राज कायम करने मे 300 साल लग गए। प्रतिहार राजपूत ही भारतीय संस्कृति के रक्षक बने। और इनके राजशाही निशान ” वराह ” विष्णु का अवतार माना है प्रतिहार मुश्लमानो के कट्टर शत्रु थे । इसलिए वो इनके राजशाही निशान ‘बराह’ से आजतक नफरत करते है।