पटना-कोटा सुपरफास्ट एक्सप्रेस में शव :
कानपुर के रहने वाले संजय कुमार अग्रवाल 24 मई को सुबह छह बजे आगरा जाने के लिए पटना-कोटा एक्सप्रेस में सवार हुए। वो थर्ड एसी में यात्रा कर रहे थे। वे एक शादी समारोह में शामिल होने जा रहे थे।
सुबह साढ़े साते बजे के करीब उनकी पत्नी का फोन आया, जिसमें उनकी पत्नी ने उनकी सेहत के बारे में पूछा। उन्होंने बताया कि उन्हें बैचेनी महसूस हो रही है और ज्यादा तबीयत खराब होगी तो जल्दी ही उतर जाएंगे। इसके बाद उन्होंने फ़ोन काट दिया। इसके बाद कई घंटों तक उनकी पत्नी फोन करती रहीं लेकिन फोन हर बार स्विच ऑफ आया। लगभग 72 घंटे बाद संजय अग्रवाल का शव पटना रेलवे स्टेशन के एस1 कोच के टॉयलेट से बरामद हुआ।
हार्ट अटैक से हुई उनकी मौत :
संजय जो कि कानपुर से आगरा जा रहे थे वे 1000 किलोमीटर दूर पटना कैसे पहुंच गए और किसी को पता भी नहीं चला, इस सवाल से कई लोग परेशान हैं। यह घटना रेलवे प्रशासन की गंभीर लापरवाही को उजागर करती है।
जीआरपी के जांच अधिकारी के अनुसार, शायद संजय अपनी पत्नी से बात करने के बाद बाथरूम गए थे। जहां उन्हें हार्ट अटैक आ गया और उनकी मौत हो गई। लेकिन हैरानी की बात यह है कि संजय का शव पटना-कोटा सुपरफास्ट एक्सप्रेस में बिना किसी को नजर आए 1500 किलोमीटर सफ़र करता चला गया। रेलवे के किसी सफाई कर्मचारी और सुरक्षाकर्मी ने ध्यान तक नहीं दिया।
ये भी पढ़े :यमुना एक्सप्रेस वे पर एक और बड़ा हादसा।
सफाई कर्मचारी ने बाथरूम कि सफाई पर ध्यान नही दिया:
ट्रेन को दोपहर में 12.50 बजे कोटा पहुंचना था लेकिन यह छह घंटे देरी से आई थी। ट्रेन प्लेटफॉर्म पर खड़ी रही और वापस जाने के लिए तैयार हुई लेकिन किसी सफाई कर्मचारी ने बाथरूम को नहीं देखा। जब संजय आगरा नहीं उतरे तो उनकी पत्नी ने जीआरपी को खबर दी लेकिन यहां से भी किसी ने टॉयलेट की जांच नहीं की।
संजय का शव उसी ट्रेन से वापस आगरा और कानपुर होते हुए पटना चला गया। पटना में सभी यात्रियों के उतरने पर ट्रेन को यार्ड में भेजा गया और सफाई कर्मचारी आए तो उन्हें भयंकर बदबू आई। इस पर फौरन रेलवे पुलिस को बुलाया गया और दरवाजे को तोड़ा गया तो उसमें संजय का शव दिखा।
24 मई को शिकायत होने के बावजूद भी एफआईआर 26 मई की सुबह दर्ज की गई:
पुलिस को संजय की जेब से नौ हजार रुपये और आईडी कार्ड मिला। इसके बाद कानपुर पुलिस को खबर दी गई। संजय के रिश्तेदार ने बताया कि हमने पुलिस को संजय के नहीं मिलने के बारे में 24 मई की दोपहर में शिकायत की लेकिन एफआईआर 26 मई की सुबह दर्ज की गई। पूर्व-मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि यह असाधारण केस है और पुलिस जांच पूरी होने का इंतजार है। इसके बाद अंदरूनी जांच कराई जाएगी।
राजेश कुमार ने बताया कि संजय कुमार को ढूंढ़ने में देरी की एक वजह उनकी पत्नी द्वारा गलत ट्रेन नंबर देना भी है। उन्होंने अपनी शिकायत में ट्रेन का नंबर 13237 बताया जबकि संजय 13239 में चढ़े थे। रेलवे की ओर से बताया गया कि संजय ने रिजर्वेशन नहीं कराया था और उनके पास करंट टिकट था इससे भी ढूंढ़ने में दिक्कत हुई।