”अपने ही कर्मो का “ख़ून” भुगतता एक देश” कहावत है की अपने कर्मो का फल सब भुगतते है लेकिन जब यही फल खून के रूप मे मिलता है नाम आता है पाकिस्तान का …………
तालिबान अल कायदा जैश ऐ मुहम्मद जैसे आतंकी संगठनो को पाल -पोष कर उनका इस्तेमाल भारत के विरुद्ध करने का कोई मौका न छोड़ने वाले पाकिस्तान पर उसका ही वार अब उल्टा पड़ता दिखाई दे रहा है उसके द्वारा पाले गए साँप अब खतरनाक ऐनाकोंडा बन उसी के नागरिकों को निगल रहे है।
इसका सबसे ताजा ख़तरनाक रूप सामने आया इस बुधवार को जब फिदायीन आतंकियो ने पाकिस्तान के बाचा ख़ान विश्वविद्यालय मे हमला कर करीब 25 छात्रो को मोंत के घाट उतार दिया ।हमले के वक़्त सभी छात्र ऐवम शिक्षक सांस्कृतिक समोरोह मे मशगूल थे ।अपने सुनहरे करियर के मुहाने पर खड़े इन छात्रो की हत्या की ख़बर से पूरे पाकिस्तान मे कोहराम मच गया ।
शिक्षण संस्थानो मे इस तरह का यह दूसरा सबसे बड़ा हमला है जो पाकिस्तान मे चरमराते सुरक्षा तंत्र की पोल खोलता हुआ तालिबान आतंकियों के आधुनिक शिक्षा के प्रति विरोध को प्रकट करता है। इस आतंकी हमले ने एक बार फिर पाकिस्तान को दिखाया की आग से खेलने की आदत अच्छी नहीं होती ।
पेशावर स्कूल हमले मे मारे गये सैकड़ो बच्चों के गम को लोग अभी तक भुला भी नहीं पाये थे की आवाम पर एक ऑर गम का पहाड़ टूट पड़ा ।विश्व के सभी नेताओ ने इस घटना की निंदा करते हुऐ आतंकियो के खिलाफ कड़ी जवाबी कारवाई करने के साथ साथ पाकिस्तान को चेताया की वो अपने यहा बेरोक-टोक चल रहे आतंकी प्रशिक्षण शिविरों को बंद करे ऑर भारत के साथ मिलकर विश्व शांति मे अपना योगदान दे।






