नेशनल हेराल्ड मामले में भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी द्वारा कोर्ट में दाखिल अर्जी के आधार पर दिल्ली के पटियाला कोर्ट ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल बोरा और ऑस्कर फर्नांडिस को कोर्ट में पेश होने को कहा है। लेकिन कांग्रेस इस मुद्दे को आसानी से हाथ से जाने देना नहीं चाह रही है। इंदिरा गांधी की ही तरह सोनिया और राहुल जेल जाकर अपने बिखरे हुए परंपरागत वोट बैंक को कांग्रेस के साथ फिर से जोड़ना चाह रहे है।
सूत्रों की माने तो कभी इंदिरा गांधी के आप्त सचिव रहे आरके धवन को बुलाकर सोनिया गांधी ने इस मुकदमे की जिम्मेदारी सौंप दी है। जनता पार्टी के शासनकाल में इंदिरा गांधी पर अनेक आरोप लगाए गए और कई जांच कमीशन बिठाए गए। भ्रष्टाचार के आरोप में इंदिरा गांधी के जेल जाने की नौबत आ गई। उस समय आरके धवन ने ही उन्हें जेल जाने का सलाह दी थी। जिसका आगे चल कर कांग्रेस को सियासी लाभ मिला। एक बार फिर से नेहरू-गांधी परिवार को इस भंवर से फायदे के साथ निकालने के लिए आरके धवन को 10 जनपथ तलब किया गया है। मिली जानकारी के मुताबिक धवन नें इंदिरा की ही तरह सोनिया राहुल को भी जेल जाने की सलाह दी है। जिससे की कांग्रेस के बिखर चुके वोट बैंक को सहानुभूति के तौर पर फिर से पार्टी के साथ जोड़ा जाए।
धवन की यह सलाह कितना काम आएगी वो तो आगे चलकर पता चलेगा। क्योंकि 1977 से आगे बढ़ कर देश 2016 में प्रवेश कर रहा है। समय काफी बदल चुके हैं। वो इंदिरा युग था अब देश की कमान भाजपा नेता नरेंद्र मोदी के हाथों में है। 1979 में जब देश में मध्यावधि चुनाव हुआ उसमें इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की फिर से सरकार बनी। वजह साफ था इंदिरा के जेल जाने के कारण कांग्रेस को इसका सियासी फायदा मिला। सहानुभूति के तौर पर जमकर वोट मिले।
इसके इतर 1970-80 के दशक में देश में 100 में से महज 36 लोग शिक्षित थे। जबकि अज के समय में यह आंकड़ा 74 तक पहुंच चुका है। लोगों को सही गलत की पहचान है, आज लोग बेबाकी से न्यायलय के निर्णय पर भी टिपण्णी करने लगे हैं। चाहे वो सलमान खान का मामला हो या फिर कोई अन्य। वैसे भी देश की सत्ता आज एक ऐसे व्यक्ति के हाथ में है जिसने यूपीए सरकार के दौरान बिठाए गए एसआईटी जांच का सामना किया है।
कांग्रेस को नुकसान भी है और फायदा भी-
अभी तक आ रही खबरों के मुताबिक कांग्रेस नेतृत्व बेल बांड भरने के विचार में नहीं है। आरके धवन की सलाह पर सोनिया और राहुल जेल जाने को तैयार हैं। लेकिन अगर आगे चलकर कोर्ट का निर्णय कांग्रेस के विपक्ष में जाता है, तो यह कांग्रेस के लिए नुकसानदेह होगा। क्योंकि नेशनल हेराल्ड के मामले को लेकर संसद न चलने देने का जवाब उसे जनता के बीच देना होगा। लेकिन वहीं अगर कोर्ट इस मामले में कांग्रेसी नेताओं को बरी कर देती है तो कांग्रेस के उस आरोप को बल मिल जाएगा, जिसमें कहा गया था कि मोदी सरकार राजनीतिक प्रतिशोध में उसके नेताओं को फंसा रही है।
साधारण खिलाड़ी नहीं हैं स्वामी-
एक जमाने में राजीव गांधी के प्रिय दोस्त रहे सुब्रह्मण्यम स्वामी आज उनके ही परिवार के लिए परेशानी का सबब बन चुके हैं। इससे पहले भी स्वामी ने समय-समय पर कांग्रेस पर जमकर आरोप लगाए। स्वामी आरोप लगाने तक ही नहीं रुकते हैं, उन्हें मामले को कोर्ट तक ले जाने में खासी दिलचस्पी रहती है।
कांग्रेस के समय हुए 2जी मामले को स्वामी ने ही उठाया था जो कि बाद में चलकर कोर्ट में भारी साबित हो गया। औऱ 1 लाख 76 हजार करोड़ के गबन का पर्दाफाश हुआ था। एक बार फिर से स्वामी नेहरू-गांधी परिवार के लिए मुसीबत बनकर सामने गए हैं। ज्ञात हो कि सोनिया गांधी के विदेशी मूल को लेकर उन्हे प्रधानमंत्री बनने से रोकने में स्वामी का ही हाथ है। ऐसे में हेराल्ड मामले में स्वामी को पार पाना कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा।
क्या है नेशनल हेराल्ड मामला?-
कांग्रेस के कुछ बड़े नेता जो कि 16 लाख रुपये तक के किराये के मकान में रहते हैं, उनके कहने पर कांग्रेस ने एसोसिएट जनरल लिमिटेड नाम की कंपनी को 2011 में 90 करोड़ को लोन दिया। बाद में पांच लाख रुपए की लागत से यंग इंडियन कंपनी की स्थापना की गई। जिसमें सोनिया और राहुल का शेयर 38-38 प्रतिशत था बांकि बचे हुए में मोतीलाल बोरा और ऑस्कर फर्नांडिस थे। लोन के एवज में 10-10 रुपए के 9 करोड़ शेयर यंग इंडियन को दे दिए गए, इसकी वजह से एसोसिएट जनरल लीमिटेड का मालिकाना हक यंग इंडियन को मिल गया।
स्वामी का आरोप है कि ये सारा खेल 1600 करोड़ रुपए की कीमत वाली हेराल्ड हाऊस पर कब्जा करने के मंशे से खेला गया है। देखना बड़ा ही दिलचस्प होगा आखिर कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी क्या निर्णय लेती है। कांग्रेस की छवि कुछ यूं खराब हो चूकि है कि कभी पूर्ण बहुमत से सरकार चलाने वाली कांग्रेस आज इस स्थिति में भी नहीं है कि वो विपक्ष के नेता का पद मांग सके। देश की जनता जागरूक है अंतिम फैसला उसे ही लेना है।
source -ibn khabar
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