गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में विजय के बाद अखिलेश को मायावती ने तगड़ा झटका दिया है। जी हाँ एक तरफ अखिलेश उपचुनाव में हुई जीत के बाद सपा बसपा के महागठबंधन को मजबूत कर आगे बढ़ना चाहते हैं, वही मायावती उपचुनाव को लेकर एक ऐसा वयान दिया है जिससे अखिलेश की रातों की नीद उड़ा दी है।
जी हाँ 2014 के लोकसभा चुनावों से राजनीतिक अस्तित्व को बचाने में जुटी बसपा सुप्रीमो मायावती ने सपा-बसपा गठबंधन के साथ राजनीति की मुख्यधारा में एक बार फिर वापसी की है. इसी कड़ी में सोमवार शाम मायावती की ओर से जारी एक प्रेस रिलीज में कहा गया है कि बीएसपी अब किसी उपचुनाव में किसी भी दल की मदद नहीं करेगी।
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मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव में तो एसपी के साथ लड़ेगी लेकिन उपचुनावों में बीएसपी काडर उस तरह से सक्रिय नहीं रहेगा जैसा कि वह गोरखपुर-फूलपुर उपचुनावों में था।
गौरतलब है यूपी में कैराना की लोकसभा सीट और नूरपुर की विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं. मायावती के बयान के बाद ऐसे कयास हैं कि इन दोनों सीट पर बीएसपी सपा का समर्थन नहीं करेगी. या फिर यह भी हो सकता है कि बीएसपी उस हिसाब से चुनाव में प्रचार न करे, जैसा कि गोरखपुर और फूलपुर की सीट पर बीएसपी ने किया था।
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राज्यसभा में इकलौती सीट भी ना जीत पाने के तीन दिन बाद आए इस बयान से एसपी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। आपको बता दें कि एसपी के समर्थन के बावजूद बीएसपी उम्मीदवार भीमराव आंबेडकर चुनाव नहीं जीत पाए थे।
राज्यसभा चुनाव में हार के बाद मायावती ने एसपी के प्रयासों के प्रति संतोष तो व्यक्त किया लेकिन एसपी प्रमुख अखिलेश यादव को राजनीतिक रूप से अपरिपक्व बताते हुए कहा था कि अखिलेश निर्दलीय विधायक राजा भैया के जाल में फंस गए। उन्होंने यह भी कहा, अगर मैं अखिलेश की जगह होती तो पहली प्राथमिकता बीएसपी के उम्मीदवार को देती।