दर्द तो बाहर आना ही था?
अरविंद केजरीवाल के साथ अनबन होने से कुमार विश्वास को गहरी चोट लगी। कुछ वक्त चुप रहे, दर्द तो बाहर आना ही था। मौका मिला और दर्द को बाहर तो निकाला ही था, बिना नाम लिए केजरीवाल पर तंज भी कसा।
कुमार विश्वास ने कहा कि ‘मैं चाहता हूं कि दौ-तीन सौ साल बाद इतिहास के किसी कोने में याद किया जाऊं. लेकिन चुप रहनेवाला राजनेता नहीं, बोलनेवाला राजनेता की तरह.’ वे नई दिल्ली में आयोजित साहित्य आज तक कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे थे। यहां इस संदर्भ में उन्होंने एक कविता भी सुनाई।
कविता के कुछ अंश :
हमने कहा शत्रु से थोड़े और जूझो
थोड़े और वाण तो सह लो
ये बोले ये राजनीति है,
तुम भी इसे प्यार से सह लो,
हमने कहा उठाओ मस्तक,
खुलकर बोलो, खुलकर कह लो,
बोले इस पर राज मुकुट है,
जो भी चाहे, जैसे सह लो,
इस गीली चोला में हम, कब तक रहते,
हम कबीर के वंशज चुप कैसे रहते
ये भी पढ़ें :AAP : विदेश जाकर जमा करेंगे चंदा
कुमार विश्वास का वक्ताओं की सूची में नाम नही :
कुमार विश्वास को आम आदमी पार्टी से साइड लाइन किया जा रहा है। बीते दो नवंबर को पार्टी की बैठक के दौरान एक दिलचस्प घटना घटी कि मनीष सिसोदिया जब बोल रहे थे तो लोगों के बीच से कुमार विश्वास को लेकर कुछ हूटिंग हुई। बैठक से पहले कुमार के वक्ताओं की सूची में नाम न होने का का मामला तूल तो पकड़ ही चुका था।
मुझे जब बोलना होगा तब बोलूंगा :
बैठक में भी लोगों ने इसके लिए कुछ बोला तो मनीष सिसोदिया ने लोगों से पूछ लिया कि कितने लोग चाहते हैं कि कुमार विश्वास बोलें? तकरीबन 80 प्रतिशत लोगों ने कहा कि कुमार विश्वास को मंच से बोलना चाहिए।
उस वक्त कुमार मंच से नीचे कुर्सियों पर बैठे हुए थे। मनीष सिसोदिया ने कुमार विश्वास से कहा कि आप आइए और बोलिए तो कुमार ने जवाब दिया आप बोलिए मुझे जब बोलना होगा तब बोलूंगा।