देश के विभिन्न हिस्सों तक पहुँचने के लिए रेल अभी भी परिवहन का सबसे लोकप्रिय साधन है। भारतीय रेलवे दुनिया की सबसे बड़ी रेल संचार प्रणालियों में से एक है। ये सभी रेलमार्ग देश के अलग-अलग हिस्सों में फैले हुए हैं, जो न केवल परिवहन का साधन हैं बल्कि सुंदरता में भी लुभावने हैं।
कालका से शिमला रेलवे:
कालका और शिमला के बीच चलने वाली ट्रेन को ‘हिमालयन क्वीन’ या हिमालय की रानी कहा जाता है। ट्रेन में चढ़ने से आपको एहसास होगा कि नाम कोई अतिशयोक्ति नहीं है।
चीड़ के जंगलों और अनगिनत सुरंगों से गुजरते हुए आपको इस रेलवे पर हिमालय देखने का दुर्लभ अनुभव मिलेगा। कई पहाड़ी पुल भी हैं।
मडगांव से मुंबई:
एक तरफ सहयाद्रि की हरी-भरी तलहटी और दूसरी तरफ अरब सागर का नीला पानी- मडगांव से मुंबई कोंकण रेल मार्ग प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। सिर्फ पहाड़ या समुद्र ही नहीं, कई झरने, सुरंगें, फैले हुए धान के खेत और नारियल के पेड़ों की कतारें हैं।
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जोधपुर से जैसलमेर रेलवे:
ट्रेन से रॉयल केटा की यात्रा करना चाहते हैं? आप जोधपुर और जैसलमेर के बीच ‘डेजर्ट क्वीन’ ट्रेन की सवारी कर सकते हैं। यह देश की सबसे लग्जरी ट्रेनों में से एक है। यात्री शराब की चुस्की लेते हुए विशाल रेगिस्तानी क्षितिज पर सूर्यास्त देख सकते हैं।
मंडपम से रामेश्वरम रेलवे:
जब आप रामेश्वरम ट्रेन से जाते हैं तो आपको एक अनोखा रेलवे पुल पार करना पड़ता है। 2 किलोमीटर लंबे इस पुल का एक हिस्सा जहाजों की आवाजाही के लिए खोला जाता था इसके लिए खास तरीके की व्यवस्था थी जब ट्रेन आती थी तो पटरी आपस में जुड़ जाती थी और जब जहाज को निकलना होता था तो यह पटरी ऊपर उठा दी जाती थी।
सेतु एक्सप्रेस मंडपम से रामेश्वरम तक चलती है। यह रेलवे एक पुल के ऊपर से गुजरता है, जो समुद्र के पानी के ऊपर स्थित है।
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न्यू जलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग:
दार्जिलिंग के लिए टॉयट्रेन को भारत के सबसे खूबसूरत रेलवे में शुमार किया जाना चाहिए। यह रेलवे यूनेस्को की विरासत स्थल में भी शामिल है। पर्यटक नींद से बतासिया लूप में घूमते हुए कंचनजंगा देखेंगे।
न्यू जलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग की दूरी 88 किलोमीटर की है। इस सफर दौरान आपको खूबसूरत वादियों के साथ ही पहाड़, झरने, गांव और हरियाली देखने के लिए मिलती है। इस टॉय ट्रेन में बैठने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग भारत आते हैं।