वास्तु शास्त्र का बहुत महत्व होता है, अगर हम वास्तु शास्त्र के अनुसार अपने घर की व्यवस्था बना कर रखें तो आने वाली ज़िन्दगी में आधी परेशानियां तो यूहीं ख़त्म हो जाती हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार भवन निमार्ण करने के साथ-साथ घर की वस्तुओं को ठीक जगह पर रखने से भी वास्तुशास्त्र का बहुत अधिक महत्व है। कौन-सा कमरा किस दिशा में ज्यादा अच्छा रहेगा, और कौन सा नहीं इत्यादि। तो आइए जानते हैं कि वास्तुशास्त्र के अनुसार घर के लिए क्या-क्या सही है और क्या-क्या गलत।
घर बनाने से पहले वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि घर बनवाने से पहले भूमि पूजन जरूर करना चाहिए। इससे घर में सुख और सम्बृद्धि आती है।
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घर का प्रवेश द्वार घर का मुख्य द्वार पूर्व में मध्य में न होकर उत्तर पूर्व की ओर या दक्षिण पूर्व की ओर होना चाहिए। घर का मुख्य दरवाजा दक्षिणमुखी नहीं होना चाहिए, अगर मजबूरी में दक्षिणमुखी दरवाजा बनाना पड़ गया हो, तो दरवाजे के सामने एक बड़ा सा आईना लगा दें।
रसोई रसोईघर का स्थान दक्षिण-पूर्व दिशा में होना शुभ मन जाता है किसी कारणवश ऐसा करना संभव न हो तो रसोईघर का निर्माण पश्चिम दिशा में करना चाहिए। रसोईघर में चूल्हे का स्थान दक्षिण-पूर्व हो तो बेहतर है।
वास्तु के अनुसार मास्टर बैडरूम को घर के दक्षिण पश्चिम या उत्तर पश्चिम की ओर बनाना चाहिए, क्योंकि बैडरूम में प्रवेश करते समय शांति और खुशहाली का आभास होना चाहिए।
शौचालय बनाने के लिए वास्तु शास्त्र के मुताबिक सबसे अच्छा स्थान दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण दिशा को माना जाता है। बस ध्यान रखें की शौचालय के नज़दीक पूजा घर और रसोईघर नहीं होना चाहिए।
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