राज्यसभा चुनाव में भाजपा ने यूपी की 10 सीटों के लिए 11 और गुजरात की 4 सीटों के लिए तीन उम्मीदवारों का पर्चा दाखिल कराकर चुनाव को दिलचस्प बना दिया है। आंकड़ों के हिसाब से यूपी से भाजपा अपने आठ उम्मीदवारों को आसानी से जितवा सकती है। उसके इस फैसले से सपा के समर्थन से खड़े बसपा उम्मीदवार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
इससे पहले यूपी में भाजपा के आठ उम्मीदवारों अरुण जेटली, अशोक वाजपेयी, अनिल जैन, विजयपाल सिंह तोमर, सकलदीप राजभर, कांता कर्दम, जीवीएल नरसिम्हा राव, हरनाथ सिंह यादव ने नामांकन दाखिल किया। नामांकन प्रक्रिया खत्म होने से पहले तीन और उम्मीदवारों अनिल अग्रवाल, सलिल विश्नोई और विद्यासागर सोनकर का नामांकन करा दिया।
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बीजेपी के इस चक्रव्यूह ने एसपी, बीएसपी और कांग्रेस के समीकरण को बिगाड़ दिया है। सपा के नरेश अग्रवाल के भगवा पार्टी में शामिल होने के बाद यहां का चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है।
भाजपा ने बसपा के उम्मीदवार पर फंसा दिया पेच-
बीजेपी के नए दांव से बीएसपी उम्मीदवार भीमराव आंबेडकर के चुनाव पर पेच फंस गया है। वैसे तो विपक्ष के पास अपने दो उम्मीदवारों को जिताने लायक नंबर हैं, लेकिन क्रॉस वोटिंग की आशंका ने बीएसपी के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी है। यूपी में राज्य सभा सीट जीतने के लिए 37 वोट की जरूरत है और एसपी, बीएसपी, कांग्रेस और आरएलडी को मिलाकर विपक्ष के पास 74 वोट हैं। रविवार देर रात तक बीजेपी ने 8 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की थी, लेकिन सोमवार को पार्टी ने नौवां उम्मीदवार उतार दिया, जिसके नाम की घोषणा उसके नामांकन के बाद की गई।
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हालांकि, बीजेपी की ओर से प्रदेश महामंत्री विद्यासागर सोनकर और सलिल विश्नोई ने भी 10वें और 11वें उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भरा है, लेकिन इनके पर्चे एहतियातन भरवाए गए हैं, जिससे किसी के पर्चे में कोई कमी होने पर सीट खाली न छूटे। पहले नौ प्रत्याशियों के पर्चे जांच में सही पाए गए तो ये दोनों अपना नाम वापस ले लेंगे।
बीजेपी ने 8 जीत पक्की कर, नौवीं पर भी नजर-
राज्य सभा चुनाव में बीजेपी के 8 और एसपी के एक उम्मीदवार की जीत पक्की है। आठ सीटों पर जीत के बाद बीजेपी के पास 28 विधायकों के मत बच रहे हैं और उसे नौवीं सीट जीतने के लिए 9 और मतों की जरूरत होगी। ऐसे में नौवां उम्मीदवार उतार बीजेपी ने राज्य सभा चुनाव के लिए चक्रव्यूह की रचना कर दी है। राष्ट्रपति चुनाव में 3 निर्दलीय और निषाद पार्टी के एक विधायक ने बीजेपी को वोट दिया था। ऐसे में बीजेपी 32 वोट तो तय मानकर चल रही है।
वहीं गुजरात में भाजपा और कांग्रेस अपने विधायकों की संख्या के आधार पर दो-दो उम्मीदवारों को विजयी बनवा सकती है। लेकिन भाजपा के तीसरा उम्मीदवार खड़ा करने से स्थिति रोचक हो गई है।