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जन्मदिन विशेष: 93 साल के हुए अटल बिहारी वाजपेयी, जानिए उनके बारे…

‘गीत नया गाता हूं’ से लेकर ‘कदम मिलाकर चलना होगा’

पर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी 25 दिसंबर को अपना 93वां जन्मदिन मना रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल जी को उनके 93वें जन्मदिन की बधाई भी दी है। अटल जी का जन्मदिन हो, तो भला उनकी कविताओं को कैसे भूला जा सकता है। अटल बिहारी वाजपेयी की कविताएं आज भी कई बड़ें मंचों पर पढ़ी जाती हैं। ‘गीत नया गाता हूं’ से लेकर ‘कदम मिलाकर चलना होगा’ कविताओं को लोग बड़े आनंद के साथ सुनते हैं।

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आपको बता दें कि 25 दिसंबर, 1924 को जन्मे वाजपेयी वर्ष 1996 में पहले 13 दिनों के लिए भारत के प्रधानमंत्री बने और उसके बाद वह 1998 से 2004 तक प्रधानमंत्री रहे थे।

कविताओं का संकलन ‘मेरी इक्यावन कविताएं’ खूब चर्चित रहा :

अटल ने कविताओं को लेकर कहा था कि मेरी कविता जंग का ऐलान है, पराजय की प्रस्तावना नहीं। वह हारे हुए सिपाही का नैराश्य-निनाद नहीं, जूझते योद्धा का जय संकल्प है। वह निराशा का स्वर नहीं, आत्मविश्वास का जयघोष है। उनकी कविताओं का संकलन ‘मेरी इक्यावन कविताएं’ खूब चर्चित रहा जिसमें..हार नहीं मानूंगा, राह नहीं ठानूंगा..खास चर्चा में रही।

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राजनीतिक सेवा का व्रत लेने के कारण आजीवन कुंवारे रहने का किया फेंसला :

16 मई से 01 जून 1996 और 19 मार्च से 22 मई 2004 तक वे भारत के प्रधानमंत्री रहे। 1968 से 1973 तक जनसंघ के अध्यक्ष रहे। जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक वे प्रमुख थे। राजनीतिक सेवा का व्रत लेने के कारण वे आजीवन कुंवारे रहे। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लिए उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने का निर्णय लिया था।

भाजपा नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार का कर रही नेतृत्व :

अटल वाजपेयी पहले प्रधानमंत्री बने, जिन्होंने अपनी राजनीतिक कुशलता से भाजपा को देश में शीर्ष राजनीतिक सम्मान दिलाया। दो दर्जन से अधिक राजनीतिक दलों को मिलाकर उन्होंने राजग बनाया था, जिसमें 80 से अधिक मंत्री थे। इस सरकार ने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। उन्हीं अटल जी की देन है कि भाजपा नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार का नेतृत्व कर रही है।

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अटल बिहारी वाजपेयी ने पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की तरफ से दिए गए नारे ‘जय जवान-जय किसान’ में अलग से जय विज्ञान भी जोड़ा। देश की सामरिक सुरक्षा पर उन्हें समझौता गवारा नहीं था।

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वाजपेयी ने वैश्विक चुनौतियों के बाद भी राजस्थान के पोखरण में 1998 में परमाणु परीक्षण किया। इस परीक्षण के बाद अमेरिका समेत कई देशों ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन उनकी दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति ने इन परिस्थितियों में भी उन्हें अटल स्तंभ के रूप में अडिग रखा। कारगिल युद्ध की भयावहता का भी डट कर मुकाबला किया और पाकिस्तान को धूल चटाई थी।

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अटल बिहारी वाजपेयी का व्यक्तित्व भारतीय राजनीति में अद्भुत है। उनके मित्र और सहयोगी लालकृष्ण आडवाणी अक्सर यह कहते थे कि वाजपेयी का समावेशी व्यक्तित्व ही भारतीय मानस के अनुकूल है। विचारधारा से प्रतिबद्धता के साथ सार्वजनिक जीवन की वास्तविकता में मेल बिठाना ही वाजपेयी का व्यक्तित्व है। अपने बाद की पीढ़ी के राजनेताओं के लिए उनका सहज जीवन एक संदेश है।

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