जिंदगी के इस खुशनुमे पल के दो पड़ाव पार कर चुकी हैं, इस दौरान आपने अपने अंदर कुछ बदलाव देखें होंगे जो कि सामान्य हैं। ये बदलाव हार्मोन में असंतुलन होने के कारण आते हैं। जिससे आपको किसी भी तरह का कोई ख़तरा नहीं होता है। तीसरी तिमाही लगते ही डिलीवरी का समय भी नजदीक आ जाती है और शिशु गर्भ में तेजी से विकास कर रहा है। इसलिए हर काम सम्भाल कर करें। किसी भी प्रकार की जल्दबाजी आप और आपके बच्चे के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है।
प्रेगनेंसी के सातवें महीने में लक्षण:
प्रेगनेंसी के सातवें महीने में आपका वजन काफी बढ़ता है जिसके कारण आपके पीठ में दर्द की समस्या सामने आ सकती है। इस दौरान संतुलित आहार लेने की कोशिश करें और उन सभी पदार्थों से परहेज करने जो मोटापा का कारण बन सकते हैं।
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ब्रेक्सटन हिक्स अनुभव करना:
प्रेगनेंसी की इस अवस्था में आप ब्रेक्सटन हिक्स अनुभव कर सकती हैं यानि लेबर पेन जो थोड़े समय के लिए होता है। इसके अलावा आप पेट की समस्या से भी जूझ सकती हैं। ज्यादा परेशानी होने की स्थिति में आपको डॉक्टर से मिलकर बात करनी चाहिए।
बार बार पेशाब आना:
इस दौरान शिशु का आकार काफी तेजी से बढ़ता है जिसके कारण आपके यूरिनरी ब्लैडर और पैरों पर ज्यादा प्रेशर पड़ता है। इस वजह से आपको बार बार पेशाब लगता है और चलने में परेशानी हो सकती है। अगर आप सुबह के समय पैदल चलती हैं तो ध्यान रहे की आप प्लेन यानी की बराबर जमीन पर चलें। उबड़ खाबड़ रास्ते पर चलना आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
योनि से स्राव होना:
सातवें महीने के दौरान गर्भ में शिशु के सिर का आकार बढ़ने के कारण पेल्विक क्षेत्र पर प्रेशर पड़ता है। जिसके कारण योनि में स्त्राव हो सकता है और यह बिलकुल सामान्य बात है। प्रेगनेंसी के शुरूआती महीनों में भी योनि से स्राव होता है जिसका मकसद संक्रमण को गर्भ में जाने से रोकना होता है।
प्रेगनेंसी के 24 से 28 सप्ताह के दौरान योनि से रिसाव होना आम बात है लेकिन अगर इससे दुर्गंध आए तो आपको अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए। इस दौरान आपके स्तनों से भी रिसाव हो सकता है जो की सामान्य लक्षणों में से एक है।
खाना हजम नहीं होना:
शिशु का आकार और वजन बढ़ता है जिसके कारण उसे ज्यादा से ज्यादा पौष्टिक की जरूरत पड़ती है। पौष्टिक की जरूरत को पूरा करने के लिए आपका शरीर अधिक मात्रा में खून बनाना शुरू करता है जिससे आप कई तरह से प्रभावित होती हैं।
इसलिए यह जरूरी है की प्रेगनेंसी के 24 से 28 सप्ताह के दौरान आप अपनी खान खान का बेहद ही अच्छे से ख्याल रखें। खान पान में कमी होना शिशु के सेहत पर गलत असर कर सकता है।
सातवें महीने में क्या खाएं:
इस दौरान आपके शिशु की संज्ञानात्मक और दृष्टि कौशल का विकास होता है। इसलिए ओमेगा 3 फैटी एसिड का सेवन करना आपके लिए आवश्यक है क्योंकि यह आपके शिशु के विकास प्रक्रिया के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
अंडा, मछली, अलसी, अखरोट, खोआ, पालक आदि ओमेगा 3 फैटी एसिड के अच्छे स्रोत हैं। इसलिए आप इन्हे अपनी डाइट में शामिल कर सकती हैं। अगर आपको खान पान की किसी भी चीज से एलर्जी है तो उसका सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से मिलकर उनकी राय लें।
प्रेगनेंसी के सातवें महीने के दौरान स्कैन और परीक्षण
प्रेगनेंसी में नियमित रूप से डॉक्टर से चेकअप करवाना जरूरी है, ताकि शिशु के विकास और अपने स्वास्थ्य के बारे में पता लगाया जा सके।
शिशु के दिल की धड़कन की जांच के लिए फीटल हार्ट रेट मॉनिटरिंग, आपका रक्त संचार, गर्भाशय का आकार व किसी तरह का संक्रमण पता लगाने के लिए पेशाब की जांच की जाती है।
इसके अलावा, बायोफिजिकल प्रोफाइल टेस्ट व कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट (CST) किया जाता है। यह टेस्ट अल्ट्रासाउंड की मदद से होता है, जिसमें शिशु के दिल का स्वास्थ्य जांचा जाता है। यह जांच गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में होती है।
डिस्क्लेमर: यह सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है। कोई भी परेशानी है तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।