हिंदू शास्त्र के अनुसार शारदीय नवरात्रि का आज अंतिम दिन है नवरात्रि की नवमी तिथि का खास महत्व होता है। इस दिन 9वीं शक्ति सिद्धिदात्री देवी की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि सिद्धिदात्री की पूजा करने से माता हर मनोकामना को शीघ्र पूर्ण कर देती है।
मां दुर्गा के सिद्ध और मोक्ष देने वाले स्वरूप को मां सिद्धिदात्री कहा जाता है, इनकी पूजा करने से सभी कार्य सिद्ध होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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नवरात्रि में दानव, ऋषि-मुनि, यक्ष, किन्नर, साधक और गृहस्थ आश्रम में जीवनयापन करने वाले भक्त मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना करते हैं। इनकी पूजा करने से बल यश और धन की प्राप्ति होती है।
मां सिद्धिदात्री का स्वरूप:
मां सिद्धिदात्री मां लक्ष्मी की तरह कमल पर विराजमान रहती हैं और ये चार भुजाओं से युक्त हैं। इनकी दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमल पुष्प और ऊपर वाले में शंख है। वहीं बाएं तरफ के नीचे वाले हाथ में गदा और ऊपर वाले हाथ में चक्र है। मां दुर्गा इस रूप में लाल वस्त्र धारण की हैं।
कन्या पूजन का विशेष महत्त्व:
कन्या पूजन के दिन सबसे पहले घर में साफ सफाई करें। अगर आप कन्या पूजन कर रहे हैं तो सुबह के समय स्ननानादि से निवृत्त होकर श्री गणेश और महागौरी की पूजा करें। अगर आप नवमी पर कन्या पूजा कर रहे हैं तो श्री गणेश पूजा करने के बाद माता सिद्धिदात्री की पूजा करें।
कन्या पूजन के लिए कन्याओं को माता का स्वरूप माना जाता है। कन्याएं जब घर आएं फिर उनके पैर धोकर आसान ग्रहण करवाएं। इसके बाद सभी कन्याओं को लाल चुनरी दें और फिर मां भगवती को लगाया भोग कन्या पूजन के लिए कन्याओं को दें।
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भोग में पूरी, चना और हलवा आदि चीजें दी जाती हैं। कन्याओं के साथ एक बालक को भी भोजन के लिए बुलाएं। बालक की बटुक भैरव के रूप में पूजा की जाती है। भोजन कराने के बाद माथे पर रोली और अक्षत लगाएं और हाथ पर मौली बाधें। इसके बाद सभी कन्याओं की आरती उतारकर दक्षिणा दें और फिर अंत में सभी के चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें।
ये हैं अष्टसिद्धिया:
अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व. ये सभी सिद्धियां मां सिद्धिदात्री की आराधना से भी प्राप्त की जा सकती हैं। हनुमान चालीसा में अष्टसिद्धियों का जिक्र आता है. हनुमान जी को भी अष्टसिद्धि और नवनिधि का दाता माना जाता है।
मां सिद्धिदात्री की स्तुति:
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।