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रक्षाबंधन नहीं था भाई-बहन का त्यौहार 2

रक्षाबंधन नहीं था भाई-बहन का त्यौहार

भूतकाल में जो त्यौहार रक्षा हेतु ईश्वर से प्रार्थना करने और न्याय के लिए लड़ी गयी लड़ाइयों को याद करने के लिए जाना जाता था, वो कुछ सौ साल पहले विशेष रूप से बहनों की रक्षा का त्यौहार बन गया, क्योंकि युवा कन्यायें सबसे अधिक शोषण और बुराई का शिकार होने लगी थीं ! विदेशी आक्रान्ताओं ने दौलत के साथ देश की बेटियों को भी लूटना और विदेशी बाजारों में बेचना शुरू कर दिया था !

सभी भाई अपनी बहनों की रक्षा के लिए तत्पर रहते थे और भगवान भाइयों की रक्षा करें इस के लिए बहनें उनके हाथ पर रक्षा सूत्र बांधती थीं !
आज जब समय सामान्य हो गया है तो लोग इस त्यौहार का मतलब भूल गए हैं ! यह रिश्ता भाई बहन का जिसमें प्रेम और सम्मान की भावना मिली हुई थी आज के भोग विलासी समाज में शिक्षा और संस्कार के आभाव में मैला सा होने लगा है !

जो माँ-बाप अपने बच्चों में शिक्षा और संस्कार नहीं डाल पाते और बस उनकी इच्छाएं पूरी करते रहते हैं वो मोबाइल जनरेशन वाले बच्चे बड़े होकर रिश्ते भूल सभी को भोग-विलास और अराजक फूहड़ता से देखते और व्यव्हार करते हैं जो गंवारपन से भी अधिक बुरा है ! जैसे गाली-गलौच, ये आजकल लड़कों ने फैशन समझ लिया है और माँ-बहन की गाली देते समय वो बिलकुल नहीं सोचते की उनके घर में भी माँ-बहन है !
क्या किसी को अपशब्द कहने के लिए आपको महिलाओं को उस लड़ाई में समेट लेना बहादुरी है?

ये अपशब्द भारतीय भाषा का हिस्सा भी नहीं थे और विदेशी आक्रान्ताओं के सैनिकों और सेवादारों द्वारा भारत में उर्दू भाषा से प्रचलित हुए ! ओर्दु या उर्दू तुर्की भाषा में सेना/कबीलाई-लड़ाकों को कहा जाता है ! जब तुर्की आक्रान्ताओं ने उत्तर भारत में डेरा डाला तो यहाँ कर लोगों द्वारा प्रयोग की जाने वाली भाषा से उनकी भाषा के मिश्रण से जो भाषा निकल कर आई वो उर्दू कही जाती है, क्योंकि वो सेना की भाषा बन गयी ! इसी भाषा में हिंसक सैनिकों द्वारा भद्दी सोच से भरी फूहड़ गालियों की उत्पत्ति और प्रयोग हुआ जो धीरे धीरे सब जगह फ़ैल गया !

आज हमें ये सब बदलने की आवश्यकता है ! आप भी अपने भाइयों से ये वादा लीजिये की वो कभी माँ-बहन की गाली नहीं देंगे और कभी किसी लड़की से छेड़छाड़ टिका-टप्पणी नहीं करेंगे ! अगर वो आपके लिए इतना भी नहीं कर सकते तो वो भाई कहलाने के लायक नहीं हैं और अगर आप आज के दिन इतनी कोशिश भी नहीं करेंगी तो समाज कभी सुरक्षित नहीं होगा, आप दूसरों को दोष देना बंद करें !

पूछें लड़कों से क्या उन्होंने कभी ये गलत काम किया है और क्या वो इसे हमेशा के लिए छोड़ेंगे, तभी उन्हें रक्षा-सूत्र/राखी बांधें!

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