हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत काल तक सभी देवी- देवता पृथ्वी पर निवास करते थे। महाभारत के बाद सभी अपने-अपने धाम चले गए। कलयुग के प्रारंभ होने पर देवता विग्रह रूप ( अदृश्य) में ही रह गए अत: उनके विग्रहों की पूजा की जाती है।
दैत्य दानव के प्रिय भगवान
देवताओं की दैत्यों से प्रतिस्पर्धा चलती रहती थी। ऐसे में जब भी देवताओं पर घोर संकट आता था तो वे सभी देवाधिदेव महादेव के पास जाते थे।
दैत्यों, राक्षसों सहित देवताओं ने भी शिव को कई बार चुनौती दी, लेकिन वे सभी परास्त होकर शिव के समक्ष झुक गए इसीलिए भगवान शिव देवों के देव महादेव कहलाते हैं। वे दैत्यों, दानवों और भूतों के भी प्रिय भगवान हैं।
हुआ करते थे विशालकाय मानव
हिन्दू धर्म के अनुसार सतयुग में विशालकाय मानव हुआ करते थे। बाद में त्रेतायुग में इनकी प्रजाति नष्ट हो गई। पुराणों के अनुसार भारत में दैत्य, दानव, राक्षस और असुरों की जाति का अस्तित्व था, जो इतनी ही विशालकाय हुआ करती थी।
विशेष आकार के मनुष्यों की रचना एक ही बार हुई थी। ये लोग काफी शक्तिशाली होते थे और पेड़ तक को अपनी भुजाओं से उखाड़ सकते थे।
इन लोगों ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया और आपस में लड़ने के बाद देवताओं को ही चुनौती देने लगे। अंत में भगवान शंकर ने सभी को मार डाला और उसके बाद ऐसे लोगों की रचना फिर नहीं की गई।
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