fbpx
shubh-dhanters-2017

धनतेरस पर सरकार मना रही है आयुर्वेद दिवस, जानिये क्या है कारण और कौन हैं धनतेरस के देवता?

योग को पूरी दुनिया में पहचान दिलाने के बाद भारत अब आयुर्वेद में भी अग्रणी रहने की दिशा में कदम उठा दिया है। देश आज पहला राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मना रहा है !

मोदी सरकार ने ये फैसला किया है कि हर वर्ष धन्वंतरी जयंती यानी धनतेरस पर देश में राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाया जाएगा। इस साल मिशन मधुमेह से इस आयोजन की शुरुआत होगी।

धनतेरस पर सरकार मना रही है आयुर्वेद दिवस, जानिये क्या है कारण और कौन हैं धनतेरस के देवता? 1

भगवान धन्वंतरी को आयुर्वेद और आरोग्य का देवता माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान उनकी उत्पत्ति हुई थी। उनके हाथों में अमृत कलश था।

यह भी पढ़ें :धनतेरस पर चमकेगी किस्मत अगर इस विधि से करेंगे पूजा

इनकी चौबीस अवतारों के अंतर्गत गणना होने के कारण भक्तजन भगवान विष्णु का अवतार, श्रीराम तथा श्रीकृष्ण के समान इन्हें पूजा करते हैं। आदिकाल में आयुर्वेद की उत्पत्ति ब्रह्मा से ही मानते हैं। और आदि काल के ग्रंथों में रामायण-महाभारत तथा विविध पुराणों की रचना हुई है, जिसमें सभी ग्रंथों ने आयुर्वेदावतरण के प्रसंग में भगवान धन्वंतरि का उल्लेख किया है।

माना जाता है कि उन्हीं से आयुर्वेद का ज्ञान पूरी दुनिया में फैला। यही वजह है कि दीपावली के दो दिन पूर्व धनतेरस को भगवान धन्वंतरी की जन्म जयंती धनतेरस के रूप में मनाई जाती है।

धनतेरस पर सरकार मना रही है आयुर्वेद दिवस, जानिये क्या है कारण और कौन हैं धनतेरस के देवता? 2

इन्‍हें भगवान विष्णु का रूप माना जाता है। इनकी चार भुजाएं हैं। ऊपर की दोनों भुजाओं में शंख और चक्र जबकि दो अन्य भुजाओं में से एक में जलूका और औषध तथा दूसरे में अमृत कलश लिये हुये हैं। इनका प्रिय धातु पीतल माना जाता है। इसीलिये धनतेरस को पीतल आदि के बर्तन खरीदने की परंपरा भी है।

यह भी पढ़ें :जानिए कार्तिक अमावस्या को ही क्यो मनाई जाती है दिवाली

विष्णु पुराण के अनुसार धन्वंतरि दीर्घतथा के पुत्र बताए गए हैं। इसमें बताया गया है वह धन्वंतरि जरा विकारों से रहित देह और इंद्रियों वाला तथा सभी जन्मों में सर्वशास्त्र ज्ञाता है। भगवान नारायण ने उन्हें पूर्व जन्म में यह वरदान दिया था कि काशिराज के वंश में उत्पन्न होकर आयुर्वेद के आठ भाग करोगे और यज्ञ भाग के भोक्ता बनोगे।

bishnu-puran katha

ब्रह्म पुराण के अनुसार यह कथा मिलती है कि काशी के राजवंश में धन्व नाम के राजा ने अज्ज देवता की उपासना की और उनको प्रसन्न किया और उनसे वरदान मांगा कि हे भगवन आप हमारे घर पुत्र रूप में अवतीर्ण हों उन्होंने उनकी उपासना से संतुष्ट होकर उनके मनोरथ को पूरा किया जो संभवतः यही देवोदास हुए और धन्व पुत्र तथा धन्वंतरि अवतार होने के कारण धन्वंतरि कहलाए।

Leave a Comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

जब बच्चे दूध पीने में करें आनाकानी, अपनाएं ये तरीके! लहसुन खाओ, रोग भगाओ क्या आपकी रात भी करवटें बदलते हुए कटती हैं तो न हो परेशान, अपनाएं ये नुस्खें ! नाशपाती खाने के क्या होते हैं फायदे! नए पेरेंट्स नवजात शिशु की देखभाल ऐसे करें ! बढ़ती उम्र का करना पड़ रहा सामना! यह पानी, करेगा फेस टोनर का काम। भारत के वृहत हिमालय में 10 अवश्य देखने योग्य झीलें