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19 जनबरी को मनाई जाएगी, राष्ट्र के महानायक Maharana Pratap (महाराणा प्रताप) की पुण्यतिथि !

हिंदी कलेंडर के हिसाब से 19 जनवरी को राष्ट्र के महानायक महराणा प्रताप जी (Maharana Pratap Ji) की पुण्यतिथी मनाई जाती है। 19 जनबरी 2020 को महराणा प्रताप की 422बीं पुण्यतिथि है।

महाराणा प्रताप मेवाड़ के महान हिंदू शासक थे। सोलहवीं शताब्दी के राजपूत शासकों में महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) ऐसे शासक थे, जो अकबर को लगातार टक्कर देते रहे।

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आइए जानते हैं महराणा प्रताप जी (Maharana Pratap Ji) से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य।

1. हल्दीघाटी का युद्ध अकबर और महाराणा के बीच 18 जून, 1576 ई. को लड़ा गया था। अकबर और राणा के बीच यह युद्ध महाभारत युद्ध की तरह विनाशकारी सिद्ध हुआ था।

2. पहली ऐसा माना जाता था कि हल्दीघाटी के युद्ध में न तो अकबर जीत सका और न ही राणा हारे। मुगलों के पास सैन्य शक्ति अधिक थी तो राणा प्रताप के पास जुझारू शक्ति की कोई कमी नहीं थी। लेकिन हाल में ही मिले कुछ तामपत्र व शिलालेखों से ये साफ हुआ है कि उस युद्ध मे महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) की जीत हुई थी।

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3. महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) का भाला 81 किलो वजन का था और उनके छाती का कवच 72 किलो का था। उनके भाला, कवच, ढाल और साथ में दो तलवारों का वजन मिलाकर 208 किलो था।

4. आपको बता दें हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) के पास सिर्फ 20000 सैनिक थे और अकबर के पास 85000 सैनिक। इसके बावजूद महाराणा प्रताप ने हार नहीं मानी और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते रहे।

5. कहते हैं कि अकबर ने महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) को समझाने के लिए 6 शान्ति दूतों को भेजा था, जिससे युद्ध को शांतिपूर्ण तरीके से खत्म किया जा सके, लेकिन महाराणा प्रताप ने यह कहते हुए हर बार उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया कि राजपूत योद्धा यह कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता।

6. महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) का सबसे प्रिय घोड़ा चेतक था. महाराणा प्रताप की तरह ही उनका घोड़ा चेतक भी काफी बहादुर था।

7. बताया जाता है जब युद्ध के दौरान मुगल सेना उनके पीछे पड़ी थी तो चेतक ने महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) को अपनी पीठ पर बैठाकर कई फीट लंबे नाले को पार किया था.आज भी चित्तौड़ की हल्दी घाटी में चेतक की समाधि बनी हुई है।

8. हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) की तरफ से लडने वाले सिर्फ एक मुस्लिम सरदार था -हकीम खां सूरी थे।

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