जिस PNS गाजी पर बनी फिल्म गाजी अटैक, जानिए उसके बारे में…
आज से करीब एक साल पहले भारत के शीर्ष नेतृत्व जिसमे राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ तत्कालीन नौसेना प्रमुख एडमिरल आर के धवन का जहाज ‘आईएफआर’ के दौरान विशाखापट्टनम के करीब बंगाल की खाड़ी में ठीक वहां से गुजरा जहां पर पिछले 45 सालों से पाकिस्तानी पनडुब्बी, ‘पीएनएस गाज़ी’ का मलबा दबा हुआ था। ये फास्ट ट्रैक पाकिस्तानी सबमरीन थी, जिसका पूरा नाम है PNS गाजी. ये पाकिस्तानी नेवी में 1964 से 1971 तक रहा. 1971 में अचानक एक दिन ये रहस्यमयी तरीके से गायब हो गया था। पाकिस्तानी सेना PNS गाजी के गायब होने के दो कारण मानती है। पहला अचानक इसके भीतर हुआ कोई विस्फोट या दूसरा, विशाखापट्टनम तट के पास उनके द्वारा बिछाई गई माइंस में विस्फोट। लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं इतिहास का वो हिस्सा, जो हकीकत में दर्ज है।
भारतीय नौसेना ने आयोजित किया था समारोह-
भारतीय नौसेना ने इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू (यानि आईएफआर) नाम से एक अंतर्राष्ट्रीय सैन्य समारोह आयोजित किया था. नौसेना के पूर्वी कमान के अंतर्गत हुए इस समारोह में करीब 50 देशों की नौसेनाओं ने शिरकत की थी। इन देशों में दुनिया की सबसे बड़ी नौसेनाओं में से एक अमेरिका, रशिया, ब्रिटेन इत्यादि शामिल थीं. इस समारोह के जरिए भारत ने दुनिया को ये तो दिखाया है कि मित्र-देशों की नौसेनाओं से कैसे (मजबूत) रिश्ते हैं तो दूसरी तरफ दुनिया को अपनी सैन्य ताकत का परिचय भी दिया। समारोह में भारतीय नौसेना के सभी युद्धपोत, पनडुब्बी, लड़ाकू विमान और एयरक्राफ्ट कैरियर ने हिस्सा लिया था।
बॉलीवुड में बनी है The Ghazi Attack फिल्म-
कल यानि शुक्रवार को हिंदी फिल्म—‘द गाज़ी अटैक’ रिलीज हो रही है. फिल्म का ट्रेलर पहले ही सामने आ चुका है। ट्रेलर के सामने आने के बाद हर किसी के दिमाग में यही बात कौंध रही है कि आखिर फिल्म में क्या दिखाया गया है। क्या ये गाज़ी सबमरीन के विशाखापट्टनम के करीब डूबने की सच्ची घटना पर आधारित है, या फिर ये एक फिक्शन यानि काल्पनिक कहानी पर आधारित है, या ऐसा तो नहीं कि फिल्म का थीम सच्ची घटना से तो लिया गया लेकिन उसमें तड़का मारने कि लिए काल्पनिक कहानी जोड़ दी गई है।
जानिए PNS गाज़ी की असलियत और इतिहास
ऐसा था पकिस्तान का PNS गाजी-
PNS गाजी का असली नाम USS डाइब्लो (SS-479) था। ये अमेरिका से पाकिस्तानी आर्मी को 1963 में मिला था। इससे पहले ये सबमरीन अमेरिकी नेवी में 1945 से 1963 तक रहा था। पाकिस्तानी आर्मी में इसने 1964 से काम करना आरंभ किया। सन 1965 में भारत-पाक युद्ध में PNS गाजी का अहम रोल था। इसकी मदद से पाकिस्तान फ़ौज ने भारत पर नेवी अटैक किए गए थे।
1971 की जंग छिड़ने के बाद पाकिस्तान को बांग्लादेश (पूर्वी पाकिस्तान) में काफी मुंह की खाना पड़ रही थी। भारत की नौसेना ने पूर्वी पाकिस्तान के तटीय शहर चटगांव पर जमकर बमबारी की थी। पाकिस्तान को लगा कि अगर भारतीय नौसेना के विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रांत को मार गिराएगा तो युद्ध में भारत की धार काफी कम हो सकती है। बस इसी मकसद से पाकिस्तान ने अपनी पनडुब्बी, आईएनएस गाज़ी को एक सीक्रेट मिशन पर भेजा लेकिन ये पाकिस्तान की एक बड़ी चूक थी। क्योंकि भारतीय नौसेना पाकिस्तान की सभी चाल पर पैनी नजर रख रही थी। पाकिस्तानी नौसेना के अधिकारियों के रेडियो मैसेज भारत में सुने जा रहे थे. यही वजह है कि जैसे ही गाज़ी को कराची से विशाखापट्टनम की तरफ कूच करने का आदेश मिला, भारतीय नौसेना ने उसे ट्रैक करना शुरू कर दिया।
आईएनएस “राजपूत” ने मार गिराया था गाजी-
आज हम यहां आपको असली ‘गाज़ी’ पनडुब्बी से जुड़े तथ्यों को आपके सामने लाने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि पाकिस्तान की गाज़ी पनडुब्बी की असली कहानी क्या है ये अभी भी एक बड़ा राज़ है। उसका प्रमुख कारण भारत ने अभी भी 1971 के युद्ध के दस्तावेजों को ‘डिक्लासिफाइड’ नहीं किया है। यानी पाकिस्तान को किस तरह से भारत ने जल, थल और आकाश में मात दी थी, उसकी ‘आधिकारिक हिस्ट्री’ अभी लिखी जानी बाकी है। इसके मायने ये हैं कि युद्ध से जुड़े मिलेट्री दस्तावेज अभी सामने नहीं आए है। यही वजह है कि पीएनएस गाज़ी को कैसे नेस्तनाबूत किया गया, इससे जुड़े सभी सीक्रेट दस्तावेज अभी भी साउथ ब्लॉक स्थित नौसेना मुख्यालय में कई तालों में बंद हैं।
भारतीय नौसेना के अधिकारियों का मानना है कि गाज़ी को उनके युद्धपोत, ‘आईएनएस राजपूत’ ने मार गिराया था। आधिकारिक दस्तावेज दुनिया के सामने ना आने के चलते लोग इस थ्योरी को खारिज भी नहीं कर पाए। हालांकि अभी तक नौसेना के जो दस्तावेज सामने आए हैं उससे ये बात जरुर साबित हो जाती है कि पाकिस्तान की सबमरीन कराची से जब विशाखापट्टनम के लिए निकली थी, उसे लगातार भारतीय नौसेना ट्रैक कर रही थी। ये भी बात नौसेना के ऑफिसयिल रिकॉर्ड से बाहर आ चुकी है कि भारतीय नौसेना ने एक ‘ट्रैप’ के जरिए गाज़ी को विशाखापट्टनम बुलाया था और पाकिस्तानी नौसेना इस ट्रैप में फंस भी गई थी।
4 दिसंबर 1971 को गाजी अचानक गायब हो गया। उसमे 92 लोग थे। ये विशाखापट्टनम कोस्ट के पास गायब हुआ था। इसके गायब होने के दिन समुद्र के अंदर से काफी तेज आवाजें आईं थीं। पाकिस्तान के एक खोजी पत्रकार ने कहा था कि गाजी के फॉरवर्ड टोरपेडो रूम में धमाके के कारण गाजी नष्ट हुआ था।
यहां यह जानना दिलचस्प है कि गाज़ी जिस विक्रांत को ‘डुबाने’ के लिए कराची हार्बर से निकली थी, वो विशाखापट्टनम में मौजूद नहीं था। रिफिट के लिए विक्रांत मद्रास गया हुआ था, यहीं से इस बात को बल मिलता है कि गाज़ी को भारतीय नौसेना के “आईएनएस राजपूत” ने डूबाया था।