” सदी का सबसे बड़ा राज़ अब होगा बेपर्दा ” अब कुछ ही समय बचा है उस राज़ से पर्दा उठने मे जिसका पिछले 65 वर्षो से पूरी दुनिया को बेसब्री से इन्तजार था ।
आखिर क्या वो ख़बर जो 1945 को पूरी दुनिया के रेडियो सेटो से दुखदाई बिज़ली की तरह बरस कर लोगो के कानों को जख्मी कर गयी सच थी , क्या सच मे ताइपे मे कोई विमान दुर्घटना हुई थी , तुम मुझे खून दो मै तुम्हें आज़ादी दूँगा का नारा देने वाले शख्श का खुद का ख़ून क्या आग की लपटों से भाप बनकर उड गया था. क्या सच मे टोकियो के रैंकोंजी मन्दिर मे रखा अस्थि कलश उसी वीर बहादुर सिपाही की यादों को सँजोए है ओर अब तक अपने वतन वापसी की इंतजार कर रहा है ।
बस अब कुछ ही घंटो के बाद इन सब सवालों का जवाब मिल जाएगा जब भारत सरकार हिंदुस्तान के सच्चे बॉस सुभाष चन्द्र की 119 वीं जयंती पर उनसे जुड़ी सभी फाइले सार्वजनिक करेगी । 23 जनवरी 1887 को कटक मे पैदा हुए नेताजी सुभाष चन्द्र बॉस ने 1920 मे भारतीय सिविल सेवा परीक्षा को पास कर भी शानदार कॅरियर को लात मर अंग्रेज़ो के खिलाफ स्वतंत्रता आन्दोलन मे कूद पड़े ।
1939 मे काँग्रेस के त्रिपुरी अधिवेशन मे प्रेसिडेंट के चुनाव मे नेता जी ने महात्मा गाँधी के उम्मीदवार पट्टाभि सीतारमैया को हरा कर भारतीय राजनीति मे अपनी बढ़ती ताकत से सबको हैरान कर अंग्रेज़ो की आँख का काटा बन गये । दूसरे विश्व युद्ध के दौरान फिरंगियों की ख़राब हालत को भापते हुये बॉस ने जापान ऐवम जर्मनी से हाथ मिला कर हिंदुस्तान मे अंग्रेज़ो की नींव हिला दी । 1943 मे सिंगापुर मे रासबिहारी बॉस सहित अन्य भारतीय सैनिकों को एकजुट कर आजाद हिन्द फोज़ को दिल्ली चलो का नारा देकर भारत को अंग्रेज़ो से मुक्त करने का संकल्प लिया ।
17 अगस्त 1995 मित्शुबीशी की -21 फाइटर प्लैन 13 लोगों को लेकर साइगोन एयरपोर्ट से रवाना हुआ ऑर ताइपे मे क्रैश हो गया । जहा कुछ लोगों का मानना है कि सुभाष चन्द्र बॉस भी इस दुर्घटना मे मारे गये वही समय समय पर ऐसे खुलासे होते रहे जिनमे दावा किया गया कि सुभाष चन्द्र बॉस जिंदा थे ऑर भारत मे ही गुमनामी का जीवन जीते रहे । भारत सरकार ने भी कई आयोगों का गठन बॉस की जाँच पड़ताल के लिया किया लेकिन उनकी रिपोर्ट को कभी सार्वजनिक नहीं किया ।
अब मोदी सरकार ने सुभाष चन्द्र बॉस से जुड़ी सभी फाइलों को जनता के सामने लाने का फैसला कर सच को सामने लाने की कोशिश है ।