हरियाणा के भिवानी में जन्मी पहलवान बेटियां गीता और बबिता जिन्होंने ना सिर्फ अपने पिता का सपना पूरा किया बल्कि पुरे विश्व में भारत का नाम रोशन किया। और उनके जीवन पर आमिर खान जैसे सुपरस्टार ने दंगल फिल्म बनाकर उन्हें रातों रात शोहरत दिला दी।
फिल्म दंगल से गीता और बबिता के पिता रुपहले पर्दे पर महावीर सिंह फोगाट हिट हो गए। क्यों की आमिर खान जैसे स्टार से दंगल फिल्म में गीता और बबिता के पिता महावीर सिंह फोगाट का किरदार निभाया था। दंगल फिल्म के जरिये देश और दुनिया ने उनके संघर्ष की कहानी देखी और सुनी, लेकिन आगरा में भी ऐसा ही एक पहलवान पिता है, जिसे महावीर सिंह जैसी शोहरत तो नहीं मिली लेकिन उस पिता का संघर्ष भी महावीर सिंह से कम नहीं है।
आज हम आपको जिस पिता के संघर्ष की कहानी बता रहे हैं वो कहानी है आगरा के मलपुरा स्थित सहारा गाँव की, जहाँ एक पहलवान ने कुश्ती में पदक जीतने का सपना देखा, लाख कोशिशों के बावजूद खुद वो सपना साकार करने में नाकामयाब रहे तो सोचा बेटा होगा तो उसको पहलवान बनाएंगे, लेकिन भगवान ने दे दी सात बेटियाँ, अब उस पहलवान ने अपनी बेटियों को ही पहलवान बना दिया है।
पहलवानी में अपनी धाक जमा रहीं सोलंकी सिस्टर्स:
आगरा के सहारा गाँव में जन्मे विशंभर सिंह सोलंकी ने बताया की उनके पिता पहलवानी किया करते थे। और अपने पिता को पहलवानी करते देख उन्हें भी पहलवानी करने का भूत सवार हुआ और वह भी आखाड़े में आ गए।
विशंभर सिंह सोलंकी का सपना था कि वो एक दिन देश के लिए खेले और और देश के के लिए मेडल लाएं, जिसके लिए उन्होंने खूब पहलवानी की। लेकिन कुछ विपरीत परिस्थितियों वश उनका ये सपना पूरा नहीं हो सका और ये सिर्फ एक सपना बनकर ही रह गया। फिर उन्होंने सोचा कि बेटा होगा तो उसे पहलवान बनायेंगे, लेकिन उनको सात बेटियाँ हुई। एक बेटा हुआ भी जिसका करीब एक साल बाद निधन हो गया।
आगे विशंभर सिंह सोलंकी बताते हैं कि सब परिस्थितियों के बाबजूद उन्होंने अपने सपनो को मरने नहीं दिया। उन्होंने अपनी सभी बेटियों को बेटों की तरह पाला और उन्हें पहलवान बनाने की ठान ली। जिसमे उनकी पत्नी विद्यावती ने भी पूर्ण सहयोग दिया।
विशंभर की सात बेटियों में से रेखा, रीना, गीता और प्रीति की शादी हो चुकी है। अब सीमा सोलंकी, नीलम सोलंकी और पूनम सोलंकी पहलवानी कर रही हैं। और अपने पिता के सपने को आगे बढ़ा रही हैं।
पिता से ही सीखे पहलवानी के दांव पेंच:
सोलंकी सिस्टर के नाम से मशहूर बहनो में से नीलम सोलंकी ने बताया, कि उन्होंने पहलवानी के दावं-पेच अपने पिता बिशंभर की देख रेख में घर पर ही सीखना शुरू किया। उनके पिता ने पहलवानी के लिए घर में ही अखाड़ा बना रखा है। नीलम ने बताया कि ट्रेनिंग सुबह चार बजे से शुरू हो जाती है जिसके अंतर्गत कई किलोमीटर दौड़ने के बाद दंड लगाना, रस्सी चढ़ना फिर अखाड़े में प्रैक्टिस करना आता है। नीलम एक बार में 700 दंड लगाती हैं।
सोलंकी सिस्टर्स के नाम पदक:
नीलम सोलंकी ने 2015 में कर्नाटक में हुई नेशनल चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीत चुकी हैं और उनकी बड़ी बहन सीमा और छोटी बहन पूनम भी स्टेट लेवल पर गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। स्टेट और जिलास्तर पर तो उनके पास मेडल की लंबी फेहरिस्त है। सोलंकी सिस्टर्स के नाम से मशहूर बिशंभर सिंह सोलंकी की सभी बेटिया राष्ट्रीय स्तर की पहलवान हैं। अगर इन्हें सरकार द्वारा मूलभूत सुबिधायें प्रदान की जाएँ तो एक दिन ये पुरे विश्व में भारत का नाम रोशन कर सकती हैं।