पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद से कलाकार दहशत में हैं। जब ये हत्या हुई तब उनका दोस्त गुरविंदर सिंह, उनके साथ था वो इस हत्या का चश्मदीद गवाह है। रविवार को पंजाबी गायक की गोली मारकर हत्या जब हुई तो उस समय कार में वो भी था। उसने कहा उन्होंने गायक और कांग्रेस नेता सिद्धू मूसेवाला को बुलेटप्रूफ कार लेने के लिए कहा था। मुसेवाला ने अपनी थार लेने पर जोर दिया।घटना में घायल हुए गुरविंदर सिंह का लुधियाना के डीएमसी अस्पताल में इलाज चल रहा है।
अन्य राज्य के कलाकारों को भी है खतरा:
पंजाबी व भोजपुरी कलाकारों के अलावा विभिन्न राज्यों के नेताओं व उद्योगपति अपने वाहनों को बुलेटप्रूफ करवाने लगे हैं। इसके लिए वे संबंधित कंपनियों से संपर्क कर रहे हैं। इसका कारण यह है कि पंजाब के गैंगस्टर अब पंजाब, उत्तर प्रदेश व बिहार से लेकर राजस्थान, हरियाणा व दिल्ली तक में अपना जाल फैला चुके हैं।
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संपर्क करने वालो में पंजाबी व भोजपुरी कलाकारों के अलावा पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा व उत्तर प्रदेश से कई नेता व उद्योगपति भी शामिल हैं। इनमें 19 लोग उत्तर प्रदेश, 30 लोग हरियाणा, 37 लोग राजस्थान, 13 लोग मुंबई व पुणे, 24 लोग दिल्ली एनसीआर तथा बाकी पंजाब से संबंधित हैं।
फार्च्यूनर बुलेट प्रूफ करवाने मूसेवाला कंपनी में खुद एक सप्ताह तक आते रहे:
मूसेवाला ने लारेंस बिश्नोई गैंग के अलावा दो और गैंगों से धमकी मिलने के बाद एक साल पहले अपनी फार्च्यूनर बुलेट प्रूफ करवाई थी। फार्च्यूनर को बुलेट प्रूफ करवाने के लिए मूसेवाला कंपनी में खुद एक सप्ताह तक आते रहे थे।मूसेवाला की एक ही शर्त थी कि एके-47 की गोलियां भी कार के अंदर न प्रवेश करने पाएं। कार के सभी शीशे व दरवाजों तथा पेट्रोल टैंक को उन्होंने बुलेट प्रूफ करवाया था।
इस कंपनी ने सुरक्षा व कानूनी कारणों के चलते यह जानकारी देने से इन्कार किया कि किन लोगों ने अपनी गाड़ियों को बुलेट प्रूफ करवाने के लिए संपर्क किया है। उन्होंने इतना जरूर बताया कि काफी लोग संपर्क कर रहे हैं। फिलहाल, वह अभी किसी के आर्डर नहीं ले रहे हैं।
देश में केवल पंजाब व मुंबई में चार कंपनियां ही गाड़ियों को बुलेट प्रूफ करती हैं:
देश में केवल पंजाब व मुंबई में चार कंपनियां ही गाड़ियों को बुलेट प्रूफ करती हैं। पंजाब में जालंधर व मोहाली में इसकी इंडस्ट्री है। जालंधर की लग्गर इंडस्ट्री उत्तर भारत में सबसे पहले 1989 में खुली थी। यह सरकारी व निजी गाड़ियों को बुलेट प्रूफ बनाती हैं।
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इसके बाद 2006 में मोहाली में जेसीबीएल नामक इंडस्ट्री खुली। मुंबई में टाटा मोटर्स के प्लांट में बुलेट प्रूफ गाड़ियां तैयार होती हैं। टाटा प्लांट में केवल सरकारी गाड़ियों को ही बुलेट प्रूफ बनाया जाता है। मुंबई की ही एक अन्य कंपनी शील्ड आर्मरिंग नामक कंपनी है, जो गाड़ियों को बुलेट प्रूफ बनाती है।
बढ़ जाता है गाड़ी का भार, कम हो जाती है एवरेज:
अगर केवल फ्रंट, बैक व साइड शीशे बुलेट प्रूफ करवाते हैं तो करीब 300 किलो भार बढ़ जाता है। शीशों के साथ दरवाजे व पूरी गाड़ी बुलेट प्रूफ तैयार करवाते हैं तो 1000 किलो तक वजन बढ़ जाता है। इससे गाड़ी की एवरेज आधी रह जाती है, इसलिए हाईएंड गाड़ियों की ही बुलेट प्रूफिंग होती है।
गाड़ी को बुलेटप्रूफ करवाने के लिए जिला प्रशासन से लेनी होती है अनुमति:
गाड़ी को बुलेट प्रूफ करवाने के लिए संबंधित जिले के डीसी या एसडीएम के पास पहले आवेदन करना होता है। वहां से आवेदन को क्लीनचिट मिलने के बाद इसकी सूचना राज्य के गृह विभाग को भेज दी जाती है। आवेदन की मंजूरी के बाद कंपनी संबंधित व्यक्ति के वाहन को बुलेट प्रूफ करके दे देती है। साथ ही, उसकी जानकारी संबंधित जिलों के प्रशासन को दे दी जाती है।
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