देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने लम्बे समय से बकाया विजय माल्या की बंद हो चुकी कंपनी किंगफिशर एयरलाइन्स को दिए 1,200 करोड़ रुपये के कर्ज़ को डूबा हुआ मान लिया है | एस बी आई ने विजय माल्या के लोन को write off कर दिया है या यूँ कह लीजिये कि अपने बैंक के बट्टे खाते में डाल दिया है | कर्ज़ों को बट्टे में डाल देना इसी बात का संकेत है कि बैंक किंगफिशर से कर्ज़ की वसूली की उम्मीद छोड़ चुका है|
दरअसल केवल विजय माल्या का ही नहीं, भारतीय स्टेट बैंक ने 63 कर्जदारों का 7016 करोड़ रुपये का बकाया लोन को डूबा हुआ मान लिया है| ये राशि 100 लोन डिफाल्टरों पर बकाया कुल राशि का करीब 80 प्रतिशत है| उनमें टॉप 20 में किंगफिशर एयरलाइंस (1201 करोड़),केएस ऑयल (596 करोड़), सूर्या फार्मास्यूटिकल्स (526 करोड़), जीईटी पावर (400 करोड़) और साई ईन्फो सिस्टम (376 करोड़) हैं |
हालांकि बैंक ने कहा कि किंगफिशर को दिया कर्ज़ उसी प्रकार के अन्य कर्ज़ों सहित एडवांसेज़ अंडर कलेक्शन एकाउंट्स (एयूसीए) कैटेगरी में डाल दिया गया है| बैंक के अनुसार, ऐसा करने से बैंक अपने बहीखातों से डूब चुके कर्ज़ को हटा सकता है, पर उसकी वसूली की कोशिशें जारी रखी जा सकती हैं | माल्या पर विभिन्न बैंकों का मूल और ब्याज मिलाकर करीब 9००० करोड़ रुपये बकाया है जो कि एस बी आई द्वारा write off किये गए कर्ज से भी ज्यादा है |
500 और 1,000 रुपये के नोटों को पिछले हफ्ते अचानक बंद किए जाने से जनता को हो रही दिक्कतों के बीच एस बी आई द्वारा लोन write off को लेकर विपक्षी दल सरकार पर निशाना साध रहे हैं | जहां एक ओर करोड़ों रुपये की देनदारी वाली बड़ी कंपनिया बचकर निकल जा रही है, वही आम आदमी को नकदी की भारी किल्लत से जूझना पड़ रहा है |
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्यसभा में माल्या का लोन माफ होने की खबरों पर सफाई दी | उन्होंने कहा, “राइट ऑफ करने का मतलब सिर्फ इतना होता है कि बैंक द्वारा अकाउंटिंग बुक में लोन को नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स मान लिया गया है। राइट ऑफ करने को लोन का मतलब लोन की माफी नहीं होता। लोन की रिकवरी के प्रयास अब भी जारी रहेंगे|”
ये तो नहीं पता विजय माल्या का लोन वापस मिलेगा या नहीं पर इस समय एस बी आई के इस कदम ने सरकार के लिए काफी मुश्किलें और जवाबदेही खड़ी कर दी है |